गुजरात चुनाव: नहीं बन पाया एंटी इनकंबेंसी का माहौल, वोटिंग कम होने की ये हैं 5 वजह

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Gujarat-2.jpgगुजरात विधानसभा के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य नेताओं ने धुआंधार प्रचार कर अघोषित रूप से चुनाव को एकतरफा कर लिया. चहुं ओर केवल बीजेपी ही बीजेपी नजर आने लगी थी. पढ़िए पंकज झा की रिपोर्ट...

गुजरात चुनाव: नहीं बन पाया एंटी इनकंबेंसी का माहौल, वोटिंग कम होने की ये हैं 5 वजह
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TV9 Bharatvarsh | Edited By: Nitesh Ojha

Updated on: Dec 02, 2022 | 11:15 AM

गुजरात विधानसभा के चुनाव के पहले चरण में उम्मीद से भी कम मतदान ने कई राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है. दावा किया जा रहा है कि एकतरफा चुनाव होने की वजह से ऐसा हुआ है. दरअसल इस चुनाव में विपक्ष की भूमिका काफी कमजोर रही. जबकि सत्ता पक्ष की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य नेता धुआंधार प्रचार करते रहे. इसकी वजह से राज्य में एंटी इनकंबेंसी का माहौल भी नहीं बन पाया. इसका सीधा फायदा सत्ताधारी बीजेपी को मिलता नजर आ रहा है. हालांकि अभी दूसरे चरण का मतदान बाकी है.

ऐसे में परिणाम को लेकर अभी तो ठीक ठीक कुछ भी नहीं का जा सकता, लेकिन पहले चरण के मतदान में इतना तो साफ हो गया है कि जो माहौल मीडिया में दिख रहा था, गुजरात की जमीन पर नहीं बन पाया. चुनावी समीक्षकों की माने तो इस बार के गुजरात चुनाव में कम वोटिंग अप्रत्याशित नहीं है. कुछ ऐसे ही हालात की आशंका पहले से भी थी. दरअसल इसके पीछे कई वजह हैं, जिनकी वजह से मतदाताओं का आकर्षण पोलिंग बूथ की ओर नहीं हो पाया. बल्कि मतदान के लिए मिली छुट्टी का लोगों ने पिकनिक मनाने में इस्तेमाल किया.

एक तरफा चुनाव बड़ा कारण
गुजरात विधानसभा के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य नेताओं ने धुआंधार प्रचार कर अघोषित रूप से चुनाव को एकतरफा कर लिया. चहुं ओर केवल बीजेपी ही बीजेपी नजर आने लगी थी. ऐसे में मतादाताओं को भी एहसास होने लगा था कि बीजेपी दोबारा आ रही है. ऐसे हालात में लोगों में इस चुनाव को लेकर कोई एक्साइटमेंट नहीं रहा. लोग वोट देने के लिए बूथ पर जाने के बजाय पिकनिक मनाने के लिए पार्कों में चले गए.

कमजोर रहे विपक्ष के तेवर
वैसे तो आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल दो महीने पहले से ही गुजरात में डेरा डाल कर बैठे हैं. उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, राघव चड्डा आदि नेताओं ने खूब प्रचार किया. बावजूद इसके आम आदमी पार्टी गुजरात में कोई खास माहौल नहीं बना पायी. इसी प्रकार कांग्रेस के भी तेवर बहुत कमजोर रहे. बीजेपी ने इसका भी खूब लाभ उठाया और लोगों को भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि आगे भी बीजेपी ही आ रही है.

नहीं बन पाया एंटी इनकंबेंसी का माहौल
चुनावी समीक्षकों के मुताबिक गुजरात में 27 साल के बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों में खूब आक्रोश था, उम्मीद थी कि यही आक्रोश एंटी इनकंबेंसी के रूप में देखने को मिलेगा. लेकिन ऐन वक्त पर बीजेपी ने गुजरात सरकार के काम गिनाने से ज्यादा मोदी सरकार की उपलब्धियों की ओर जनता का फोकस कर दिया. बीजेपी के इस खेल को विपक्ष समय रहते नहीं समझ पाया. इसके चलते लोगों ने गुजरात सरकार के बजाय इस चुनाव में भी मोदी को प्राथमिकता दे दी.

पाटीदार आंदोलन के चलते ज्यादा हुई थी वोटिंग
पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन चल रहा था. बड़ी संख्या में लोग इस आंदोलन से प्रभावित भी थे. इसके चलते लोग सरकार के पक्ष में या विरोध में मतदान करने के लिए बूथ तक पहुंचे. इससे जबरदस्त वोटिंग हुई थी. लेकिन इस बार तो ऐसा कोई आंदोलन भी नहीं था, जो मतदाताओं को घर से निकालकर बूथ तक पहुंचाने के लिए प्रेरित कर सके. जो विरोधी पाटीदार नेता थे भी तो वह इस बार बीजेपी में ही चले गए हैं.