दो सैकड़ा शिक्षक कर रहे बीएलओ ड्यूटी

in #hundred2 years ago

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गैर शैक्षणिक कार्य में लगाने पर रोक
शैक्षणिक गतिविधियां हो रहीं प्रभावित
परीक्षा परिणाम प्रभावित होने की आशंका

विधानसभा चुनाव को लेकर नए मतदाताओं के नाम जोड़ने और मृत्यु या फिर कही चले जाने पर इन दिनों मतदाता सूचियों के संशोधन का काम कराया जा रहा है। इन कामो में जिले भर से करीब 940 कर्मचारियों को लगाया गया है। इसमें सबसे अधिक शिक्षक है। दौ सैंकड़ा के आसपास शिक्षक बूथ लेवल ऑफिसर बीएलओ बनाया गया है। इस वजह से जिले की शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित है। जिले में शिक्षकों की पहले से कमी है और बड़ी संख्या में शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य कराए जाने से स्कूली शिक्षा गड़बड़ा गई है। लोक शिक्षण संचालनालय ने आदेश दिए हैं इसके बावजूद जिले में इसका पालन नहीं हो रहा है। जबकि कई अन्य जिलों में प्रशासन ने बाकायदा आदेश जारी कर शिक्षकों की ड्यूटी पर रोक लगाई है। बताया गया है कि कोविड के चलते शैक्षणिक व्यवस्था पहले से अधिक कमजोर हो गई। दो प्रोमोशन में अगली कक्षा में पहुंचे बच्चो को कई तरह की परेशानी हो रही है। हाई व हायरसेंकडरी की ग्रेडिंग में फिससड़ी है। बोर्ड परीक्षाओं के अलावा लोकल परीक्षा की तैयारी और परिणाम सुधारने के लिए शासन कई बदलाव किए है। जिन्हे लागू करने और सुधार करने के लिए शिक्षको की अधिक आवश्यकता है। इस सबके बाबजूद संचालनालय ने इस संबंध में आदेश जारी किए थे। आयुक्त द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि पहले से ही स्कूलों में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी है। अन्य शिक्षको की कमी है। ऐसे में छात्र हित को ध्यान में रखते हुए उक्त विषयों के शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी में न लगाया जाए लेकिन जिले में कही भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है। शैक्षणिक सुधार के भी प्रयास नहीं बताया गया है कि इस समय सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित है। प्रायमरी शिक्षा बिना शिक्षकों के चल रही है। हाई स्कूल की शिक्षा अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही है। दो शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित रही। है। इस शैक्षणिक सत्र में त्रिमाही से लेकर अर्द्धवार्षिक परीक्षा के आयोजन में कई बदलाव किए गए है। जिनमें परीक्षार्थी की योग्यता परखी जानी है। लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता पर कोई फोकस नहीं किया जा रहा है। इस वजह से परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा। बच्चों के शैक्षणिक स्तर को लेकर समय समय पर किए जाने वाले सर्वे में वे सबसे ज्यादा कमजोर गणित, अंग्रेजी विज्ञान में पाए जाते हैं।

सुबह से शाम तक की ड्यूटी

बीएलओ की ड्यूटी पर तैनात शिक्षक को अपने मतदान केंद्र पर सुबह से शाम तक मौजूद रहना पड़ता है। इस दौरान मतदाता उनसे नए नाम जोड़ने, संशोधन आदि के लिए संपर्क कर सकते हैं। बीएलओ को ही इस संबंध में आयोग द्वारा निर्धारित प्रपत्र उपलब्ध कराने का अधिकार होता है। आयोग द्वारा इस ड्यूटी के बदले में शिक्षकों को मानदेय भी दिया जाता है। कुछ समय पहले संचालनालय द्वारा यह आदेश भी जारी किया जा चुका है कि आयोग द्वारा शिक्षकों को मानदेय दिया जाता है इसलिए उन्हें इस काम के साथ अपना मूल दायित्व भी निभाना चाहिए।
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चुनाव कार्य की नहीं कर सकते अनदेखी

शिक्षा अधिकार कानून में शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्यों में लगाने पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि इसमें निर्वाचन और जनगणना संबंधी कार्यों को अपवाद में रखा गया है। इसलिए बीएलओ की ड्यूटी लगाए जाने पर शिक्षा विभाग इसकी अनदेखी नहीं कर सकता। पर संचालनालय का तर्क है कि छात्र हित में शिक्षकों को ड्यूटी से हटाना जरूरी है। मतदाता सूची तैयार करने में अन्य विभाग या पंचायत के कर्मचारी से काम लिया जा सकता है। शिक्षको इससे मुक्त रखना जरूरी है।