Lucknow News: ठंड आते ही लखनऊ में सक्रिय हुआ घुमंतू गिरोह, पुलिस सतर्क

in #wortheum2 years ago

लखनऊ। सर्दी का मौसम आते ही चोरी की वारदातें बढ़ने लगी हैं। खुफिया विंग ने कमिश्नरेट में घुमंतू गिरोह के सक्रिय होने का इनपुट भी दिया है। इसके बाद राजधानी पुलिस अलर्ट हो गई है। अधिकारियों ने प्रभारी निरीक्षकों को अपने इलाके में रात में सात घंटे का विशेष सर्च अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है। इसके तहत पुलिस टीम को रात 10 बजे से सुबह पांच बजे तक गश्त करनी होगी। इस दौरान संदिग्ध दिखने वालों का पूरा ब्योरा रजिस्टर में दर्ज करना होगा। इसकी निगरानी सर्किल के एसीपी करेंगे।

डीसीपी उत्तरी एमएस कासिम आब्दी के मुताबिक, सर्दियों में घुमंतू गिरोह सक्रिय हो जाता है। यह आमतौर पर दिसंबर से फरवरी तक वारदातों को अंजाम देता है। खुफिया विंग ने इस गिरोह के सक्रिय हो जाने का इनपुट दिया है। इसके चलते रात की गश्त बढ़ा दी गई है। खासकर ग्रामीण इलाकों, रेलवे पटरी किनारे, झोपड़ पट्टी और किराये पर आने वाले लोगों का ब्योरा जुटाया जाने लगा है। लोगों को किरायेदार का सत्यापन कराने और घरों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की सलाह दी जा रही है।

गिरोह ने बदला वारदात का तरीका
पुलिस के मुताबिक घुमंतू गिरोह ने वारदात करने का तरीका बदल दिया है। अब यह गिरोह झुग्गी बस्तियों, नवविकसित इलाकों में किराये के कमरों में रहता है। स्थानीय लोगों के साथ घुल मिलकर आसपास के इलाके की जानकारी जुटाता है। किसी को संदेह न हो इसके लिए कोई ऑटो चलाता है तो कोई ठेला, ई-रिक्शा या पिकअप डाला। इसकी आड़ में रेकी करते हैं और रात में वारदात को अंजाम देते हैं। इसमें बावरिया, कच्छा-बनियान जैसे घुमंतू गिरोहों के अपराध करने का तौर तरीका बेहद खतरनाक है। मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर इलाके की यह जनजाति वारदात के समय हिंसा करती है। गिरोह के सदस्य हथियारों की जगह लोहेकी राड का इस्तेमाल करते हैं और विरोध पर इसी से हमला करते हैं। हालांकि, अब इस गिरोह ने हथियार रखना भी शुरू कर दिया है और फायरिंग भी करता है। राजधानी में कई हत्याएं भी कर चुका है। गिरोह ने अपने पहनावे में भी बदलाव किया है। अब ये आम लोगों की तरह ही आधुनिक कपड़े पहनते हैं। ऐसे में इन्हें पकड़ना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। डीसीपी कासिम आब्दी के मुताबिक थानों से देर रात को घूमने वाले संदिग्ध लोगों का ब्योरा जुटाने को कहा गया है। वहीं, झुग्गी बस्तियों में विशेष सर्च अभियान चलाने का भी निर्देश है।

किरायेदारों के सत्यापन में लापरवाही
राजधानी में तीन हजार से अधिक कॉलोनियां हैं। इनमें 25 लाख से अधिक लोग किराये पर रहते हैं। अनुमान है कि इनमें से 5.5 लाख लोग दुकानों व बाजारों में काम करते हैं। कमिश्नरेट में किरायेदारी का सत्यापन काफी बदतर स्थिति में है। सत्यापन में मकान मालिक व किरायेदार दोनों लापरवाही करते हैं। इसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं। पुलिस भी किरायेदारों के सत्यापन में सिर्फ कोरम ही पूरा कर रही है। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो सिर्फ 800 लोगों का ही सत्यापन कराया गया है। ऐसा तब है जबकि यूपी पुलिस का यूपी कॉप एप डाउनलोड कर किरायेदार से लेकर नौकर तक के सत्यापन की सुविधा उपलब्ध है।

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