गन्ने के अपशिष्ट से तैयार कर डाला ठोस अल्कोहल
वर्तमान में लालगंज के अस्पताल रोड पर रहने वाली ममता माइक्रोबायोलॉजी से एमएससी करने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर गई थी वहां थिसिस के रूप में उन्होंने नजदीक ही स्थित राष्ट्रीय शर्करा अनुसंधान से संपर्क किया । जहां उन्हें गन्ने की खोई पर रिसर्च करने का काम दिया गया ।ममता की 2 साल की कड़ी मेहनत का नतीजा रहा कि उन्होंने खोई से ठोस अल्कोहल बना डाला यह ठोस अल्कोहल पैराफिन का बेहतर विकल्प होगा । मोम के जलने पर हानिकारक गैस निकलती है जबकि खोई से बने अल्कोहल से न तो कोई हानिकारक गैस निकलती है और न ही इसकी कीमत बाजार में बहुत अधिक होती है । ममता कहती हैं कि पेटेंट होने के बाद खुले बाजार में इसकी कीमत 50 रुपये किलोग्राम हो सकती है उनकी सफलता पर माता विनीतासमेत पिता राम मूर्ति , भाई आंचल शुक्ला , भाभी रजनी आदि ने खुशी जताई है ,