आर्टिकल अंत्योदय का प्रतीक द्रौपदी मुर्मू

in #up2 years ago

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यकीनन , ये सफर तो आसान नहीं रहा होगा पंडित दीनदयाल जी के अंत्योदय के विचार को धरातल पर लाकर उसे मूर्त रूप देना किसी ने कभी यह नहीं सोचा होगा की जंगल पर आश्रित रहने वाली ओडिसा की संथाल जनजाति से ताल्लुक रखने वाली महिला आदिवासी समाज से रायसीना हिल्स पहुचेंगी। भारत की पहली आदिवासी महिला 15 वीं राष्ट्रपति बनी है। पिछड़े समाज से निकल कर द्रौपदी मुर्मू जी का यहाँ तक पहुँचना इतना आसान नहीं रहा होगा , द्रौपदी मुर्मू जी हर नारी की सशक्तिकरण का बहुत बड़ा उदाहरण हैं ।
यह हमारे भारत के लोकतंत्र की पहचान हैं। सारी दुनिया के सामने यह एक बेमिसाल उदाहरण है तथा हमारे लिए गर्व का विषय हैं, की हमने पंडित दीनदयाल जी विचारों को प्रेरणा माना तथा सदियों से हाशिये पर पड़े आदिवासी समाज की एक महिला महामहिम के पद पर विराजमान होंगी, पिछले कुछ वर्षों से वंचित शोषित और आदिवासियों तथा अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास हो रहा है ।
भारत अब राष्ट्र गुरु बनने की ओर अग्रसर हो रहा है, अंत्योदय विचार से प्रेरित होकर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेत्रत्व प्रदेश में शासन कर रही भाजपा सरकारे अंत्योदय के सपने को साकार कर रही हैं । गरीब ,ग्रामीण किसानों के लिए समाज के सबसे शोषित वर्ग से आने वाले युवाओ ,महिलाओं के कल्याण की ओर प्रतिबद्ध हैं , भारत के लिए द्रौपदी मुर्मू जी का राष्ट्रपति के पद पर आसीन होना महिला सशक्तिकरण तथा अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति के विकास के लिए नए नए मार्ग प्रशस्त करेंगी द्रौपदी मुर्मू जी का राष्ट्रपति बनना पंडित दीनदयाल जी के अंत्योदय से उपजी समावेशी एकता की मिसाल हैं , अंतिम छोरो पर बसे गांवों में शोषित ,अशिक्षित सुख सुविधाओ से वंचित लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए द्रौपदी मुर्मू जी बहुत अच्छा माध्यम हैं। हम भारत के नए निर्माण तथा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आगे की अग्रसर हो रहे हैं ।
स्नेहलता दीक्षित
रिसर्च स्कालर

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