केरल में बन रहे अडानी पोर्ट में क्या ख़ास बात है और इसका विरोध क्यों हो रहा है

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केरल में बन रहा अडानी पोर्ट देश का सबसे बड़ा बंदरगाह प्रोजेक्ट होगा. लेकिन इसे लेकर विवाद पैदा हो गया है और विवाद की वजह है इस प्रोजक्ट के आर्थिक फ़ायदों के आगे इससे प्रभावित होने वाले आम लोगों की परेशानियों को दरकिनार किया जाने के दावे.

7500 करोड़ रुपये के विजहिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट लिमिटेड प्रोजेक्ट राज्य सरकार का बंदरगाह जो अडानी पोर्ट के नाम से मशहूर हो गया है. बीते 16 अगस्त से ये संकट से जूझ रहा है और आम लोगों के विरोध के बीच परियोजना का काम रोक दिया गया.

लेकिन ये विरोध प्रदर्शन बीते शनिवार को हिंसक हो गए जब लोगों ने एक पुलिस स्टेशन पर हमला कर वहां तोड़फ़ोड़ की. दरअसल, इससे पहले पुलिस ने उन प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया था जिन्होंने ग्रेनाइट ला रहे ट्रकों का रास्ता ब्लॉक किया था. इसके विरोध में नाराज़ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया.

हिंसा की घटना के बाद केरल हाई कोर्ट ने विजहिंजम पोर्ट (जो अडानी पोर्ट के नाम से चर्चित है) पर हुई हिंसा के बाद राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि एफ़आईआर में अब तक क्या कार्रवाई हुई है.
इस विवाद पर राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि "ये सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन नहीं है. ये राज्य के विकास को रोकने की कोशिश है, जो भी हो, उन्हें उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा."
विरोध को विकास के ख़िलाफ़ जोड़ने से कई लोग जो बंदरगाह के निर्माण का विरोध कर रहे हैं, वो इससे इतर राय रखते हैं. उनका मानना है कि इससे न केवल बंदरगाह परियोजना के आसपास बल्कि तिरुवनंतपुरम से लेकर कोल्लम तक पूरे तट पर मछुआरा समुदाय की आजीविका को नुकसान पहुंचेगा.

तट के किनारे रहने वाले मछुआरे लैटिन कैथोलिक चर्च के सदस्य हैं और ये ही प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं. वे इस निर्माण से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए नए सिरे से अध्ययन किए जाने की मांग कर रहे हैं.
इतिहासकार और समाजिक आलोचक जे देविका कहती हैं, "इन मछुआरों को जिनकी पुश्तें 500 सालों से यहां रह रही हैं उन्हें आजीविका के लिए ही नहीं, इस ज़मीन के कारण भी ये जगह छोड़नी होगी. क्योंकि या तो ज़मीन पोर्ट के लिए ले लिया जाएगा या फिर समंदर का पानी इसे निगल जाएगा."

आख़िर इस परियोजना में ऐसा क्या ख़ास है कि यह आर्थिक लाभ, पर्यावरण की सुरक्षा और लोगों के पारंपरिक सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को बनाए रखने के बीच की लड़ाई को फिर से पारिभाषित करने वाला माना जा रहा है?
विजहिंजम बंदरगाह परियोजना क्या है?
इस परियोजना के तहत इस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा जिससे भारतीय तट पर बड़े कार्गो जहाज़ आ सकें, और उनकी डॉकिंग ना करनी पड़े. अभी छोटे भारतीय जहाज़ जैसे फ़ीडर्स के लिए भी कोलंबो, सिंगापुर या दुबई के बंदरगाह इस्तेमाल करने पड़ते हैं और आयात निर्यात के लिए यहां पर उत्पादों को ट्रांसफ़र किया जाता है.

केरल सरकार की कंपनी वीआईएसएल के प्रबंध निदेशक के गोपालकृष्णन ने बीबीसी हिंदी को बताया, "हम हर 20-फ़ुट के कंटेनर के लिए 80 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करते हैं क्योंकि हम भारत में कहीं भी बड़ा जहाज़ (मदर शिप) पार्क नहीं कर सकते. इससे सात दिनों का नुकसान तो होता ही है साथ-साथ बहुत सारे पैसों की भी बर्बादी होती है. यह कोई छोटी रकम नहीं है. 2016-17 के आंकड़ों के मुताबिक हम अकेले इस काम के लिए 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करते हैं. इसके अलावा हम माल ढुलाई पर 3,000-4,000 करोड़ रुपये खर्च करते हैं. और ध्यान रहे, कोविड के बाद ये सभी शुल्क चार से पांच गुना बढ़ गए हैं."
भारत का विदेश व्यापार
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20-फुट के कंटेनर (जिसे टीईयू यानी ट्वेंटी इक्विपमेंट यूनिट कहते हैं) में लगभग 24 टन कार्गो होता है. मदर शिप में 10,000 से 15,000 टीईयू तक भेजा जा सकता है.

इससे भारत के माल ढुलाई में लगने वाले पैसे बचेंगे, वक़्त बचेगा, आयात-निर्यात में लगने वाले पैसे बचेंगे, इंश्योरेंस और तेल का पैसा बचेगा.

गोपालकृष्णन कहते हैं कि भारत इस साल विदेशी व्यापार में 1 ट्रिलियन का आंकड़ा पार करने वाला है और इस व्यापार का 90 फ़ीसदी हिस्सा समुद्री मार्ग से ही हो रहा है.

ट्रांसशिपमेंट पोर्ट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह विजहिंजम में स्थित है, जो अंतरराष्ट्रीय पूर्व-पश्चिम शिपिंग रोड से सिर्फ 10 समुद्री मील दूर है, ये दूरी भारत के किसी भी ट्रांसशिपमेंट पोर्ट की तुलना में बेहद कम है.

गोपालकृष्णन ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय मार्ग से इसकी दूरी बेहद कम है, इसलिए मुझे लगता है कि यह भारत का ताज बनने जा रहा है."

इसका एक और फ़ायदा ये है कि इसमें "19.7 मीटर का प्राकृतिक ड्राफ्ट" है. ड्राफ्ट वह गहराई होती है जिसमें जहाज पानी में डूबा रहता है. मूल रूप से, यह वॉटरलाइन और जहाज के तल के बीच की वास्तविक दूरी होती है.

गोपालकृष्णन कहते हैं कि अभी ये ड्राफ्ट समुद्र के कचरे से भरा हुआ है. हमें इसे साफ़ करना होगा. इसका 40 फ़ीसदी काम हो चुका है. जो बचा हुआ हिस्सा है उसे साफ़ करना है. हमें ब्रेकवॉटर (समुद्री दीवार जिससे तेज़ लहरों को तट पर टकराने से रोका जाता है) बनाने का काम पूरा करना है. ये एक बहुत तेज़ लहरों वाला क्षेत्र है जिसे थोड़ा कम किए जाने की ज़रूरत है.

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