एम्पायर:दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एपल; खुफिया एजेंसी जैसा काम, डस्टबिन तक पर नजर रखी जाती है

in #punjab2 years ago

सीआईए... एफबीआई... मोसाद... या फिर रॉ! ये सब दुनिया की टॉप खुफिया एजेंसियों के नाम हैं। पर अगर इस लिस्ट में ‘एपल’ को जोड़ दें तो आपको ये मजाक लगेगा। वैसे आप सही हैं, एपल कोई खुफिया एजेंसी नहीं लेकिन इसके दफ्तर, ऑफिस का कल्चर और इसकी सफलता की कहानी पढ़ें, तो जरूर आपको भरोसा हो जाएगा कि ये किसी भी खुफिया एजेंसी से कम नहीं।

तो चलिए आपको दुनिया की नंबर-1 कंपनी की अनसुनी कहानियां सुनाते हैं। कैसे 46 साल पुरानी कंपनी आज दुनिया पर राज कर रही है। क्यों एपल की हर चीज सीक्रेट रखी जाती है? कैसा है दफ्तर और कर्मचारियों को कितनी सैलरी मिलती है।

आज के मेगा एम्पायर में जानते है एपल की सारी लेयर्स के बारे में…

पहले कंपनी को समझ लेते हैं फिर इसकी तह में उतरेंगे
एपल सिर्फ कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी नहीं बल्कि एक ब्रांड है। तभी दुनिया में अच्छा कमाने वालों में 69 फीसदी लोग एपल के प्रोडक्ट्स रखना पसंद करते हैं। एपल ब्रांड के प्रति दीवानगी का आलम इतना रहा है कि किडनी बेचने वाली कहानियां आपने सुनी ही होंगी। यहां तक कि कंपनी के प्रोडक्ट को लेकर आखिरी समय तक चीजें सीक्रेट रहती हैं। आईफोन-14 को लेकर बाजार अभी चर्चाएं कर रहा है।

खैर, हम कंपनी की बात कर रहे हैं। आईफोन, आईपैड, मैक, एयरपॉड, वॉच, टीवी, एक्सेसरीज बनाने वाली कंपनी एपल के पास 16 लाख करोड़ रुपए का कैश रिजर्व है। इसका मार्केट कैप 188.49 लाख करोड़ रुपए है। यह 183 देशों के जीडीपी से भी ज्यादा है। एपल की नेटवर्थ से ज्यादा जीडीपी वाले देशों में अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, भारत, ब्रिटेन और फ्रांस हैं। कंपनी जनवरी 2022 में 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी और ऐसा करने वाली वह इतिहास की पहली कंपनी थी।

अब कंपनी का सक्सेस फॉर्मूला भी जान लेते हैं...
एपल उन कंपनियों में से है, जिसने कभी खुद-से कोई तकनीक विकसित नहीं की। बस मौजूदा तकनीक, उत्पादों को इनोवेट करते हुए बेहतर से और बेहतर बनाया। इसी एक फॉर्मूले को मूलमंत्र बनाया। जैसे एपल अप्रैल 1976 में बनी, तो पहला उत्पाद एपल-1 कम्प्यूटर था। इसे स्टीव वोजनियक लेकर आए थे। पर पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर तो 1973 में आ गया था। पहला व्यावसायिक पीसी भी 1974 में आया।

समय के साथ एपल 1, 2, 3 आए और फिर मैक में भी डिजाइन, ओएस प्लेटफॉर्म और इससे जुड़ी एप्लिकेशन अपग्रेड होती गईं। कह सकते हैं कि एपल ने बेसिक चीज पर काम नहीं किया। एपल ने एमपी-3 प्लेयर्स नहीं बनाए, लेकिन इनोवेटिव डिजाइन, आसानी से डाउनलोडिंग और सॉफ्टवेयर का इकोसिस्टम बनाकर पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयर इंडस्ट्री पर एक दशक से राज कर रहा है।

यही हाल आईफोन का है। पहला स्मार्टफोन एपल नहीं लिया। पर इनोवेशन ने फिर कमाल कर दिया। 2010 में आइपैड लॉन्च करने के साथ यही रणनीति रही। पहली स्मार्ट वॉच नहीं बनाई। अब ऑगमेंटेड रिएलिटी और वर्चुअल रिएलिटी की होड़ है। लोग आशंका जता रहे हैं कि एपल लेट हो जाएगा, लेकिन अतीत पर भरोसा करें, तो एपल पहले इस मार्केट को समझेगा, फिर सही समय पर सही टेक्नोलॉजी के साथ सामने आएगा।IMG_20220717_110604.jpg