CBI करेगी स्कॉलरशिप घोटाले की जांच, सीएम भगवंत मान ने जताई सहमति

in #panjab2 years ago

Panjab news:-पंजाब में एससी-बीसी विद्यार्थियों के पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के मामले की जांच आखिरकार सीबीआई से कराने पर सहमति बन गई है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने भी प्रदेश सरकार को सुझाव दिया था। मगर केंद्र ने इस योजना में अपना हिस्सा देने इन्कार कर दिया था। इसके बाद मामला खटाई में पड़ गया था।
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अब राज्य सरकार ने सीबीआई जांच का मन बना लिया है और इसे लेकर पत्र जल्द जारी होने के आसार हैं। इस संबंध में जो दस्तावेज सीबीआई को सौंपे जाने हैं, उनकी फेहरिस्त भी तैयार कर ली गई है। गौरतलब है कि राज्य की पिछली सरकार ने केंद्र के दबाव में सीबीआई जांच पर हामी तो भरी थी लेकिन सीबीआई को न तो कोई दस्तावेज सौंपे और न ही पंजाब आकर किसी से पूछताछ की इजाजत दी।

अब सीबीआई ने मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार से जांच शुरू करने की अनुमति मांगी है, जिस पर मुख्यमंत्री ने सहमति जता दी है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में पिछली सरकार के समय स्कॉलरशिप की राशि में बड़ा घोटाला होने के आरोप लगे थे। इस मामले में तत्कालीन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत का नाम भी आया था, जब विभाग के ही सचिव ने मामले की जांच करते हुए मंत्री पर उंगली उठा दी थी।
इसके बाद पिछली सरकार ने तीन अफसरों की कमेटी का गठन किया, जिसने जांच तो की लेकिन इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो सकी। प्रदेश में इस घोटाले की गूंज केंद्र सरकार तक पहुंच गई और केंद्र ने स्कॉलरशिप में अपना 60 फीसदी हिस्सा रोक दिया। इसके साथ ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई लेकिन प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सीबीआई को प्रदेश में आकर दस्तावेज खंगालने और पूछताछ करने से रोक दिया। तब केंद्र सरकार ने पंजाब को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना से ही बाहर कर दिया।

अब राज्य में नई सरकार के गठन के बाद उक्त स्कॉलरशिप योजना को फिर से लागू करने और केंद्र से उसके हिस्से की रकम हासिल करने के लिए राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने पर सहमति जता दी है। सीएमओ के सूत्रों के अनुसार, जल्दी ही राज्य सरकार सीबीआई को जांच संबंधी पत्र भेजेगी।

क्या है पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाला
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के दौरान सामाजिक सुरक्षा मंत्री रहे साधु सिंह धर्मसोत पर स्कॉलरशिप का पैसा बांटने में धांधली का आरोप है। स्कॉलरशिप योजना के तहत पंजाब सरकार को 303 करोड़ रुपये मिले थे। इस मामले में हुई जांच में 39 करोड़ रुपये बांटने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला और संदेह जताया गया कि जो कॉलेज वजूद में ही नहीं हैं, उनके नाम पर स्कॉलरशिप की रकम बांटना दिखाकर पैसा हड़प लिया गया।
यह भी सामने आया कि जिन कॉलेज-यूनिवर्सिटी से 8 करोड़ वसूले जाने थे, उन्हें 16.91 करोड़ और जारी कर दिए गए। सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव और उनके बाद तीन अफसरों की कमेटी द्वारा की गई जांच के बावजूद तत्कालीन सरकार ने धर्मसोत को क्लीन चिट दे दी। यही नहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार ने भी मामले को रफादफा करने का प्रयास किया।

चन्नी सरकार ने 1 जनवरी 2022 को इस मामले में 50 करोड़ और उससे अधिक की वसूली का सामना कर रहे संस्थानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का फैसला किया। इसके लिए यह दलील दी गई कि गलती से जारी की गई राशि की वसूली की जा सकती है। चन्नी सरकार के फैसले से करीब 70 संस्थानों को राहत मिली थी।

मुख्यमंत्री ने मंगा ली विभागीय फाइलें
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मामले से जुड़ी सभी विभागीय फाइलें पिछले महीने ही अपने पास मंगवा ली थी। सामाजिक न्याय विभाग द्वारा अपने स्तर पर की जांच में प्रदेश के नौ संस्थान संदेह के घेरे में हैं और मामले की सुई पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के इर्दगिर्द ही घूम रही है। मुख्यमंत्री ने इन नौ संस्थानों को स्कॉलरशिप की राशि के तौर पर किए गए भुगतान की फाइलें भी मंगा ली हैं। इन नौ संस्थानों पर 16.91 करोड़ रुपये के गलत तरीके से वितरण का आरोप है और राज्य सरकार ने इन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किए हैं।