झिलमिल आंखों की पीर कभी आकर देखो,
"झिलमिल आंखों की पीर कभी आकर देखो,
मन कितना हुआ अधीर कभी आकर देखो,
बस तुम्हीं नजर आते मुझको जगते-सोते
क्या है बिन प्राण शरीर कभी आकर देखो,,,,,"
"झिलमिल आंखों की पीर कभी आकर देखो,
मन कितना हुआ अधीर कभी आकर देखो,
बस तुम्हीं नजर आते मुझको जगते-सोते
क्या है बिन प्राण शरीर कभी आकर देखो,,,,,"
Good
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