लगान की शूटिंग के दौरान छह महीने लगातार बजा गायत्री मंत्र, और फिर एक दिन आमिर खान ने पूछा

in #new2 years ago

मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से मशहूर आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ उनके फिल्मी करियर में मील का पत्थर साबित हुई। फिल्म में एक ऐसा गांव दिखाया गया था जहां के लोग लगान के बोझ तले दबे हुए थे। इसकी कहानी इतनी दमदार साबित हुई कि यह फिल्म ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट हो गई थी। 15 जून 2001 को प्रदर्शित हुई इस फिल्म को रिलीज हुए 21 साल हो गए हैं। ‘लगान’ फिल्म से जुड़े हम कई किस्से सुन चुके हैं। आइए इस बार आपको बताते हैं फिल्म ‘लगान’ से जुड़ा एक नया किस्सा। जो खास ‘अग्निबाण’ के पाठकों को बता रहे हैं फिल्म ‘लगान’ में अर्जन लोहार की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा।

अखिलेन्द्र मिश्रा कहते हैं, ‘लगान की शूटिंग के दौरान दिनचर्या बहुत कमाल की होती थी। सबसे अद्भुत बात ये थी कि हम लोग सुबह छह बजे बस में बस में बैठ जाया करते थे। उस बस का नाम एक्टर्स बस था और इसी बस में फिल्म के कलाकार शूटिंग लोकेशन तक जाया करते थे। खुद आमिर खान भी इसी में साथ बैठकर होटल से शूटिंग स्थल पर जाते थे। मैंने पहले ही दिन एक काम किया। सुबह सुबह बस के ड्राइवर को गायत्री मंत्र का कैसेट दे दिया था। सुबह लोग बस में आकर बैठ जाते थे और गायत्री मंत्र चल रहा होता था। होटल से शूटिंग स्थल तक बस में सिर्फ गायत्री मंत्र ही चलता था। सब बस में तैयार होकर बैठे हैं लेकिन ऊंघ रहे हैं और बस शूटिंग स्थल पर पहुंच जाती थी तब गायत्री मंत्र बंद होता था और बस से उतर कर लोकेशन पर ही लोग नाश्ता करते थे।’
अखिलेंद्र बताते हैं, ‘फिल्म ‘लगान’ की शूटिंग जनवरी में शुरू हुई थी और जून में खत्म हुई। इस तरह फिल्म की शूटिंग छह महीने चली। ठंड के समय जब बस सुबह छह बजे निकलती तो उस समय अंधेरा होता था। जनवरी में शूटिंग दौरान हमने ठंड की चरम सीमा भी देखी जब तापमान माइनस डिग्री हो गया और जून में 48 डिग्री तापमान में भी शूटिंग कर रहे हैं। इस फिल्म की शूटिंग छह महीने चली, लेकिन किसी दिन ऐसा नहीं रहा कि जिस दिन गायत्री मंत्र का कैसेट न बजा हो।’
तो इस दिनचर्या में गायत्री मंत्र को लेकर कभी मुसाफिरों ने कुछ बात नहीं की? इस बारे में पूछने पर अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र कहते हैं , ‘एक बार आमिर खान ने पूछ लिया कि इस गायत्री मंत्र का मतलब क्या होता है? मुझे गायत्री मंत्र के बारे में उस समय जितना ज्ञान था वह मैंने उन्हें बताया। ये बड़ी अद्भुत चीज थी और ये सिलसिला छह महीने तक चलता रहा। ऐसा नहीं कि दो चार दिन गायत्री मंत्र का कैसेट बजने के बाद बंद हो गया। कभी कभी लेट होता था तो लोग आकर बोलते थे अरे, आज गायत्री मंत्र नहीं लगा। लोगों को गायत्री मन्त्र सुनने की आदत हो गई थी। भुज से चंपानेर जहां शूटिंग चल रही थी वो 29 किलोमीटर दूर थी। बार बार गायत्री मंत्र का कैसेट रिपीट होकर बजता रहता था।’Lagaan.jpg