कहानी मुगल सल्तनत की सबसे अमीर शहजादी की जो खुद को मानती थी फकीर

in #mumbai2 years ago

मुगल बादशाह शाहजहां की सबसे बड़ी संतान शहजादी जहांआरा को भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे अमीर महिला कहा गया. इतिहास में भी साफतौर पर इसका जिक्र किया गया है. जानिए, वो कैसे सबसे रईस शहजादी बनीं...मुगल बादशाह शाहजहां की सबसे बड़ी संतान शहजादी जहांआरा को भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे अमीर महिला कहा गया. इतिहास में भी साफतौर पर इसका जिक्र किया गया है. किताब ‘डॉटर ऑफ द सन’ की लेखिका और मशहूर इतिहासकार एरा मखोती का कहना है, उस दौर में जब पश्चिमी देशों के लोग भारत पहुंचते थे तो यह देखकर ताज्जुब करते थे कि भारतीय महिलाओं के पास उनके देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा अधिकार थे.जहांआरा का जिक्र करते हुए वह कहती हैं, मुगल शहजादी कितनी अमीर थीं इतिहास में अलग-अलग तरीके से इसका कई बार जिक्र किया गया है. जैसे- उनके पास कई जागीरें थीं. शाहजहां की मौत के बाद उनकी सम्पत्ति का आधा हिस्सा जहांआरा को मिला. बाकी आधा हिस्सा सभी बेटों को बांटा गया.

पादशाह बेगम बनते ही मिलीं एक लाख अशर्फियां
बीबीसी की रिपोर्ट में AMU में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर एम.वसीम राजा कहते हैं, एक समय ऐसा भी आया जब जहांआरा को पादशाह बेगम बनाया गया. यह मुगल साम्राज्य का बड़ा पद होता है. जिस दिन जहांआरा को ये उपाधि दी गई उस दिन उन्हें एक लाख अशर्फियां दी गईं. इसके अलावा चार लाख रुपये सालाना ग्रांट के तौर पर भी दी गई.

सिर्फ रकम ही नहीं, जहांआरा की रियासत के दायरे को भी बढ़ाया गया. उन्हें कई बाग दिए गए, जिसमें बाग जहांआरा, बाग नूर और बाग सफा शामिल है. इसके अलावा बाछोल, सफापुर, अछल, फरजहरा, दोहारा और पानीपत का परगना उनकी रियासत में जोड़ दिया गया. उन्हें सूरत शहर का अधिकार भी दिया गया, जहां से जहाजों के जरिए अंग्रेजों के साथ व्यापार किया जा रहा था.जब जहांआरा को खजाने से तौल दिया गया
बादशाह शाहजहां को किस हद तक जहांआरा से लगाव था इतिहास में इसका जिक्र भी मिलता है. 6 अप्रैल 1644 को जहांआरा आग से झुलस गई थीं. हालात इतनी गंभीर हो गई कि आठ महीने तक बिस्तर पर रहीं. एक लम्बे समय के बाद जब वो स्वस्थ हुईं तो बादशाह इतने खुश हुए कि अपने खजाने के दरवाजे खोल दिए. गरीबों को रोजाना पैसे बांटे गए. काफी संख्या में कैदियों को रिहा किया गया.

इतना ही नहीं, हर रात एक हजार रुपये जहांआरा तकिए के नीचे रखकर सोती थीं, उसे भी गरीबों को बांटा जाता था. उस दौर में 7 लाख रुपय तक का कर्ज माफ किया गया. वो जश्न आठ दिन तक चला था. शाहजहां इतने खुश थे कि शहजादी को 130 मोती के साथ पांच लाख रुपये के कंगन तोहफे के रूप में दिए. इसी मौके पर ही उन्हें सूरत का बंदरगाह भी दिया, जहां से 5 लाख रुपये की सालाना आमदनी होती थी.
TV9 Bharatvarsh
x
CHOOSE YOUR LANGUAGE
हिन्दी
ಕನ್ನಡ
తెలుగు
मराठी
ગુજરાતી
বাংলা
मनी9
ENG
5
लेटेस्टक्रिकेटशेयर मार्केटमनोरंजनकरियरवेब स्टोरीबिजनेसदेशराज्यनॉलेजदुनियाटेकफोटोधर्मकृषिलाइफस्‍टाइलऑटोट्रेंडिंग
#लखीमपुर खीरी कांड#पितृ पक्ष#महारानी को अंतिम विदाई#सरकारी नौकरी#Data Story#History Mystery#काम की बातवीडियो न्यूज़#सफलता के मंत्र
हिंदी न्यूज़ » नॉलेज की ताजा खबरें » कहानी मुगल सल्तनत की सबसे अमीर शहजादी की जो खुद को मानती थी फकीर
कहानी मुगल सल्तनत की सबसे अमीर शहजादी की जो खुद को मानती थी फकीर
मुगल बादशाह शाहजहां की सबसे बड़ी संतान शहजादी जहांआरा को भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे अमीर महिला कहा गया. इतिहास में भी साफतौर पर इसका जिक्र किया गया है. जानिए, वो कैसे सबसे रईस शहजादी बनीं...

कहानी मुगल सल्तनत की सबसे अमीर शहजादी की जो खुद को मानती थी फकीरशाहजहां की मौत के बाद उनकी सम्‍पत्ति का आधा हिस्‍सा जहांआरा को मिला और दूसरा आधा हिस्‍सा सभी बेटों को बांटा गया.
TV9 Bharatvarsh
TV9 Bharatvarsh | Edited By: संयम श्रीवास्तव

Sep 14, 2022 | 2:15 PM

मुगल बादशाह शाहजहां की सबसे बड़ी संतान शहजादी जहांआरा को भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे अमीर महिला कहा गया. इतिहास में भी साफतौर पर इसका जिक्र किया गया है. किताब ‘डॉटर ऑफ द सन’ की लेखिका और मशहूर इतिहासकार एरा मखोती का कहना है, उस दौर में जब पश्चिमी देशों के लोग भारत पहुंचते थे तो यह देखकर ताज्जुब करते थे कि भारतीय महिलाओं के पास उनके देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा अधिकार थे.

जहांआरा का जिक्र करते हुए वह कहती हैं, मुगल शहजादी कितनी अमीर थीं इतिहास में अलग-अलग तरीके से इसका कई बार जिक्र किया गया है. जैसे- उनके पास कई जागीरें थीं. शाहजहां की मौत के बाद उनकी सम्पत्ति का आधा हिस्सा जहांआरा को मिला. बाकी आधा हिस्सा सभी बेटों को बांटा गया.

पादशाह बेगम बनते ही मिलीं एक लाख अशर्फियां
बीबीसी की रिपोर्ट में AMU में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर एम.वसीम राजा कहते हैं, एक समय ऐसा भी आया जब जहांआरा को पादशाह बेगम बनाया गया. यह मुगल साम्राज्य का बड़ा पद होता है. जिस दिन जहांआरा को ये उपाधि दी गई उस दिन उन्हें एक लाख अशर्फियां दी गईं. इसके अलावा चार लाख रुपये सालाना ग्रांट के तौर पर भी दी गई.

सिर्फ रकम ही नहीं, जहांआरा की रियासत के दायरे को भी बढ़ाया गया. उन्हें कई बाग दिए गए, जिसमें बाग जहांआरा, बाग नूर और बाग सफा शामिल है. इसके अलावा बाछोल, सफापुर, अछल, फरजहरा, दोहारा और पानीपत का परगना उनकी रियासत में जोड़ दिया गया. उन्हें सूरत शहर का अधिकार भी दिया गया, जहां से जहाजों के जरिए अंग्रेजों के साथ व्यापार किया जा रहा था.

जब जहांआरा को खजाने से तौल दिया गया
बादशाह शाहजहां को किस हद तक जहांआरा से लगाव था इतिहास में इसका जिक्र भी मिलता है. 6 अप्रैल 1644 को जहांआरा आग से झुलस गई थीं. हालात इतनी गंभीर हो गई कि आठ महीने तक बिस्तर पर रहीं. एक लम्बे समय के बाद जब वो स्वस्थ हुईं तो बादशाह इतने खुश हुए कि अपने खजाने के दरवाजे खोल दिए. गरीबों को रोजाना पैसे बांटे गए. काफी संख्या में कैदियों को रिहा किया गया.

इतना ही नहीं, हर रात एक हजार रुपये जहांआरा तकिए के नीचे रखकर सोती थीं, उसे भी गरीबों को बांटा जाता था. उस दौर में 7 लाख रुपय तक का कर्ज माफ किया गया. वो जश्न आठ दिन तक चला था. शाहजहां इतने खुश थे कि शहजादी को 130 मोती के साथ पांच लाख रुपये के कंगन तोहफे के रूप में दिए. इसी मौके पर ही उन्हें सूरत का बंदरगाह भी दिया, जहां से 5 लाख रुपये की सालाना आमदनी होती थी.

जिस वैद्य ने शहजादी का इलाज किया शाहजहां ने उसे भी मालामाल कर दिया. बेटी का इलाज करने के ऐवज में उसे 200 घोड़े, हाथी, 500 तोले वजन के बराबर अशर्फी के अलावा कई अन्य चीजें भी दीं.

जहांआरा ने जीवनभर खुद को फकीर माना
बेशक जहांआरा मुगलकाल की सबसे अमीर शहजादी रही हैं, लेकिन वो जीवनभर खुद को फकीर मानती रहीं. आग लगने की घटना के बाद उनका झुकाव सूफी विचारधारा की तरफ बढ़ा. इतिहासकारों का मानना है कि जहांआरा अपनी मां मुमताज महल से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और सुंदर थीं. मुगल साम्राज्य में उनके व्यक्तित्व को शानदार माना गया.

मुगलकाल की सबसे महंगी शादी में आधी रकम जहांआरा ने खर्च की
फरवरी 1633 में भाई दारा शिकोह और नादिरा बेगम की शादी हुई. उस दौर में शिकोह की शादी में कुल 32 लाख रुपय का खर्च आया था. इसे इतिहास की सबसे महंगी शादी बताया गया. जहांआरा अपने भाई शिकोह से बहुत स्नेह रखती थीं. इसलिए उन्होंने इस शादी को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने इस शादी में खर्च के लिए आधी राशि यानी 16 लाख रुपये अपने पास से दिए थे. 1681mughal-story-of-Jahanara-worlds-richest-princess-and-daughter-of-this-Mughal-emperor-shah-jahan.jpg