मुफ्ती कासमी बोले- किसी फंडिंग से नहीं, चंदे से चल रहे मदरसे, सरकार बेवजह परेशान कर रही

in #miscellaneous2 years ago

गाजियाबाद की तीनों तहसीलों में सभी मदरसों के सर्वे का काम शुरू हो गया है। महाराजपुर इलाके में जामिया अरबिया मेहराजुल उलूम नामक मदरसा 25 साल से संचालित है। मदरसे के मुफ्ती शमीम कासमी का कहना है कि किसी फंडिंग से नहीं, लोगों से चंदा लेकर मदरसा चला रहे हैं। सरकार बेवजह परेशान कर रही है।
उत्तर प्रदेश में तेजी से मदरसों का सर्वे कर्य शुरू हो चुका है। 5 अक्टूबर तक जिला प्रशासन को सर्व रिपोर्ट सरकार को सबमिट करनी है। सरकार की तरफ से 12 बिंदुओं पर मदरसों का सर्वे कराया जा रहा है। सरकार के पोर्टल पर जो मदरसे रजिस्टर्ड नहीं है, उनकी जांच की जा रही है। गाजियाबाद के महाराजपुर इलाके में जामिया अरबिया मेहराजुल उलूम नामक मदरसा करीब 25 साल से संचालित है। ये मदरसा मेरठ की एक सोसायटी से तो रजिस्टर्ड है, लेकिन सरकार के पोर्टल पर अभी रजिस्टर्ड नहीं है। इस मदरसे में तकरीबन 250 बच्चे पढ़ते हैं।

मदरसे के मुफ्ती शमीम कासमी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि 2016 से सरकारी पोर्टल बंद है। कई बार जिला अल्पसंख्यक विभाग में मदरसे को रजिस्टर्ड कराने के प्रयास किए, लेकिन पोर्टल बंद होने के कारण रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। इतने सालों से आखिर ये मदरसा किस फंडिंग से चल रह है? इस बारे में मुफ्ती साहब का कहना है कि इलाके के लोगों के सहयोग और चंदे से ये मदरसा चल रहा है। किसी कि फंडिंग से नहीं।
सर्वे को लेकर मुफ्ती ने कहा कि सरकार मदरसा संचालकों को बेवजह परेशान कर रही है। सरकार को अपने ज़रूरी कामों पर ध्यान देना चाहिए। अल्पसंख्यक धर्मों के लोग अपनी संस्थाएं चला रहे हैं, उनको ऐसे ही चलाने देना चाहिए। वहीं जो स्वयं सरकार से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए पोर्टल खोला जाए।
एसडीएम सदर विनय कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में हर जिले में सभी मदरसों की जांच की जा रही है। वहीं गाजियाबाद में भी शासन के निर्देशानुसार तीनों तहसीलों में विशेष टीम गठित की गई है। जल्द से जल्द इन सभी मदरसों का सर्वे पूरा कर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

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