फाइलेरिया पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न, फाइलेरिया किट 22 लोगों को वितरित

in #mirzapur2 years ago

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  • पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल , अंडकोषों की सूजनद्ध होते हैं फाइलेरिया के लक्षण बुखार बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन भी लक्षण।
    नित्यवार्ता डेस्क : विकास तिवारी
    मिर्जापुर। जिला फाइलेरिया ऑफिस में फाइलेरिया से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। आयोजन के दौरान 22 रोगियों को फाइलेरिया किट भी दी गई। यह जानकारी जिला मलेरिया और फाइलेरिया अधिकारी संजय द्विवेदी ने दी। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी व नोडल अधिकारी डॉक्टर गुलाब वर्मा ने बताया कि फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है। यह जान तो नहीं लेती है लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। इस बीमारी को हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। रोग के शुरू होने पर फाइलेरिया की पहचान आसान नहीं है। इस बीमारी के लक्षण बीमारी के कीटाणुओं के शरीर में प्रवेश के कई वर्षों बाद दिखाई देते हैं जो हाथी पांव, हाइड्रोसील का यूरिया आदि के रूप में प्रकट होते हैं। हाथी पांव का कोई इलाज नहीं है। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को ही आम बोलचाल की भाषा में फाइलेरिया कहा जाता है।
    इस मौके पर डॉक्टर करीन कुमार, पाथ संस्था ने मरीजों को प्रशिक्षित किया। इस दौरान 22 लोगों को मुख्य चिकित्साधिकारी की ओर से फाइलेरिया किट यानि टब, बाल्टी, मग, छोटी तौलिया, साबुन और फंगल क्रीम दी गई।
  • फाइलेरिया के कारण-
    जिला मलेरिया अधिकारी के मुताबिक यह बीमारी मच्छरों द्वारा फैलती हैए खासकर परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के कीटाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
  • फाइलेरिया से बचाव-
    फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफसफाई रखें। पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें। सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगा लें। हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें।