जब मुलायम ने अफसरों को दिया 5 किलो देशी घी, जेल में साथ रहे नेता ने बताई ये बात

in #mainpuri2 years ago

बसपा नेता सुधींद्र भदौरिया ने अमर उजाला से कहा कि मुलायम सिंह यादव के साथ उनके पारिवारिक संबंध थे। भदौरिया ने बताया कि उनके पिता कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया उस समय इटावा लोकसभा क्षेत्र के सांसद थे और उन्होंने ही 1967 में मुलायम सिंह यादव को पहली बार जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था.

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। उनके पुत्र और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उत्तर भारत के इस कद्दावर नेता पर देश के सभी शीर्ष नेताओं ने शोक प्रकट किया है। आज उनकी जिंदगी के कई किस्से लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं। लोग याद कर रहे हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े कद के नेता बन जाने के बाद भी मुलायम सिंह यादव किस प्रकार अपने करीबी लोगों का ध्यान रखते थे और उनका बड़ा राजनितिक कद कभी उनके करीबियों से उनकी दूरी का कारण नहीं बन पाया। शायद उनकी राजनितिक सफलता का एक बड़ा कारण यह भी था कि अपने संघर्ष के साथियों को वे कभी भूलते नहीं थे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पूनिया ने अमर उजाला को बताया कि जब मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, वे प्रशासनिक सेवा में थे और उस समय मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के रूप में काम कर रहे थे। उनके करीबी अधिकारी के रूप में काम करते हुए उन्होंने देखा था कि मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी अपने करीबियों के लिए हमेशा सुलभ रहते थे। उन्होंने अपने अधिकारियों को भी इस बात का सख्त आदेश दे रखा था कि यदि उनका कोई कार्यकर्ता या करीबी उनसे मिलने आये तो उसे उनसे मिलने दिया जाए।

पीएल पूनिया ने मुलायम सिंह यादव के साथ गुजारे पलों को याद करते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री रहते हुए एक बार विकास कार्यों का निरीक्षण करने के लिए इटावा जा रहे थे। वे स्वयं प्रमुख सचिव के रूप में और एक अन्य वरिष्ठ नौकरशाह उनके साथ चल रहे थे। जब वे यात्रा में थे, मुलायम सिंह यादव के पीछे बैठे अधिकारी आपस में बात कर रहे थे कि इटावा का यह क्षेत्र दूध-दही और देशी घी के लिए जाना जाता है। यहां देशी घी अपेक्षाकृत बेहद सस्ती कीमतों पर मिलता है और उसकी शुद्धता पर कोई संदेह नहीं रहता है। आगे बैठे मुलायम सिंह यादव अधिकारियों की ये बातें सुन रहे थे। वे उस समय कुछ नहीं बोले, लेकिन जब यात्रा की समाप्ति पर अधिकारी विदा होने लगे, मुलायम सिंह ने उन्हें पांच-पांच किलो देशी घी थमा दिया।

जेल में रहे साथ

बसपा नेता सुधींद्र भदौरिया ने अमर उजाला से कहा कि मुलायम सिंह यादव के साथ उनके पारिवारिक संबंध थे। आपातकाल के दौरान वे मुलायम सिंह यादव के साथ इटावा की जेल में बंद थे। इस दौरान उन्होंने देखा कि मुलायम सिंह यादव किस तरह अपने सामाजिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध थे और समाज के पिछड़े तबकों के लिए कुछ बेहतर करने के लिए वे कितने उद्वेलित थे। भदौरिया ने बताया कि उनके पिता कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया उस समय इटावा लोकसभा क्षेत्र के सांसद थे और उन्होंने ही 1967 में मुलायम सिंह यादव को पहली बार जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था। इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ अन्य सभी साथी चुनाव जीतने में सफल रहे थे।

विरोधियों के भी साथी

भाजपा के दिवंगत नेता लालजी टंडन के साथ बेहद करीबी के तौर पर हमेशा उनके साथ रहे संजय चौधरी ने बताया कि मुलायम सिंह यादव उत्तर भारत के सबसे कद्दावर नेताओं में शामिल थे। अपने दम पर यूपी की सबसे सशक्त राजनितिक पार्टी खड़ी करने वाले मुलायम सिंह यादव भाजपा के सहयोग से ही पहली बार मुख्यमंत्री बने। शायद यही कारण था कि वे अपने विरोधी दल के नेताओं का भी हमेशा सम्मान रखते थे और उनके हितों की चिंता करते थे। उनके बिना उत्तर भारत का आधुनिक इतिहास कभी पूर्ण नहीं हो सकता।

संजय चौधरी ने कहा कि एक बार वे लालजी टंडन के साथ मुरादाबाद में एक जनसभा को संबोधित करने गए थे। अचानक मंच पर लालजी टंडन की तबीयत कुछ खराब हो गई और वे मंच पर ही गिर पड़े। उनके सहयोगी उन्हें तुरंत मुरादाबाद के बड़े अस्पताल में ले जाने लगे। इतने समय के बीच ही यह खबर मुलायम सिंह को पता चल गयी जो उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। मुलायम सिंह यादव ने तुरंत उन्हें फोन कर लालजी टंडन का हालचाल जाना और तुरंत उनके लिए हेलिकॉप्टर भेजने की पेशकश की। संजय चौधरी ने बताया कि उन्होंने मुलायम सिंह को बताया कि लालजी टंडन की तबीयत ठीक है और उन्हें चिंता करने की बात नहीं है। इसके बाद लखनऊ आने के बाद भी उन्होंने उनका हालचाल जाना।

अयोध्या परिक्रमा की अनुमति दी

अपने राजनीतिक जनाधार के कारण मुलायम सिंह यादव हमेशा मुसलमानों के साथ खड़े रहे। लेकिन जब उनसे हिंदू पक्ष ने किसी मुद्दे पर उनसे बातचीत करने की कोशिश की, उन्होंने उनका भी ख्याल रखा। संजय चौधरी ने बताया कि प्रशासन ने एक बार अयोध्या में परिक्रमा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस पर विश्व हिंदू परिषद् के इस समय के सबसे बड़े नेता अशोक सिंघल को साथ लेकर वे मुलायम सिंह से मिलने गए और इसे हिंदुओं की भावनाओं के साथ अन्याय बताया। चौधरी के मुताबिक़, मुलायम सिंह यादव ने फौरन आदेश जारी कर इस प्रतिबंध को समाप्त करने का एलान कर दिया।

किसानों के नेता थे मुलायम

भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने मुलायम सिंह यादव को गरीबों, पिछड़ों और किसानों के नेता के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह के बाद मुलायम सिंह किसानों के हितों का ध्यान रखने वाले दूसरे सबसे बड़े नेता थे। वे मातृभाषा हिंदी के प्रबल पैरोकार थे और उसे आगे बढ़ाये जाने के हिमायती थे। उनके जाने से भारतीय राजनीति में एक रिक्त स्थान पैदा हुआ है, जिसे भरना आसान नहीं होगा।

कार्यकर्ताओं के नेता थे मुलायम सिंह

मुलायम सिंह यादव के लगभग चार दशक तक के सहयात्री रहे समाजवादी पार्टी के नेता राजेंद्र चौधरी ने अमर उजाला को बताया कि नेता जी लगातार कड़ा संघर्ष करने वाले व्यक्ति थे, और संघर्ष के अपने साथियों को हमेशा याद रखते थे। उनके साथ उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का सबंध बेहद करीबी होता था और वे उनके पारिवारिक मामलों तक का ध्यान रखते थे। यही कारण था कि उनके कार्यकर्ता कभी उनसे अलग नहीं होते थे और उन्हें हमेशा अपने दिल में स्थान देते थे।

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