कानपुर-दिव्यांगों के समर्थन में निकाली रैली, फाइलेरिया के प्रति किया जागरूक

in #kanpur2 years ago

शारीरिक चुनौती का सामना कर फाईलेरिया रोगी नेटवर्क बढ़ रहा आगे

दिव्यांगों के समर्थन में निकाली रैली, फाइलेरिया के प्रति किया जागरूक

एक सामान्य व्यक्ति की तरह सबकुछ कर सकते हैं दिव्यांग

कानपुर 3 दिसंबर 2022

मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है...इन पंक्तियों को जीवन में उतारने वाले स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा बनाये गए फाइलेरिया नेटवर्क समूह के सदस्यों के द्वारा जागरूकता रैली का आयोजन किया । "विकलांग लोगों के लिये समर्पित अंतरराष्ट्रीय दिवस " के अवसर पर राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से ग्रसित रोगियों और उनकी दिव्यांग्ता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से शनिवार को आयोजित रैली में ब्लॉक कल्याणपुर के प्राथमिक विद्यालय कटरा भैसौर के बच्चों व सहायक अध्यापकों ने भाग लिया।

फ़ाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्यों सदस्य रघुवीर, प्रेमवती, सुधा और सुमन ने रैली के माध्यम से बताया की दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है बल्कि ऊपर वाले का वरदान है। दिव्यांगता को भूलकर आगे बढऩे का जज्बा ही आपको समाज में अलग खड़ा करता है। जब तक आपकी सोच और विचार नहीं बदलेंगे तब तक आप दिव्यांगता की भंवर से निकल नहीं सकते।

फ़ाइलेरिया रोगी नेटवर्क सदस्य सुमन कहती है दिव्यांगता के प्रति समाज का रवैया नकारात्मक है पर सबसे पहले किसी भी शारीरिक चुनौती को हृदय से स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। मुझे फाइलेरिया है पर मए नहीं चाहती की जिस परेशानी में मैं हूँ उसमें दूसरा भी कोई हो। इसलिए मैं औरों को जागरूक करके उन्हें किसी प्रकार से दिव्यांग होने से बचाऊंगी। सेण्टर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के जिला समन्वयक प्रसून द्विवेदी ने बच्चों को फाइलेरिया रोग और उससे होने वाली दिव्यांग्ता के बारे में बताया । साथ ही इस रोग के कारण, लक्षण, बचाव, उपचार, प्रबंधन आदि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी । कहा की सिर्फ दो साल से कम के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को छोड़ कर सभी को फाइलेरिया से बचाने के लिये दवा का सेवन साल में एक बार करना चाहिये ।

प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक मो0 शमीम ने कहा की अब दिव्यांग लोगों के प्रति अपनी सोच को बदलने का समय आ गया है। दिव्यांगो को समाज की मुख्यधारा में तभी शामिल किया जा सकता है जब समाज इन्हें अपना हिस्सा समझे। इसके लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान की जरूरत है। रैली में बच्चों , शिक्षकों सहित आशा व आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता सहित फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के अन्य सदस्य मौजूद रहें।

इसलिए मनाया जाता है "विकलांग लोगों के लिये समर्पित अंतरराष्ट्रीय दिवस "

दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की 1992 में हुई आम बैठक में तीन दिसंबर को "विकलांग लोगों के लिये समर्पित अंतरराष्ट्रीय दिवस " मनाने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में दिव्यांग लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। इस वर्ष का थीम है समावेशी विकास के लिए परिवर्तनकारी समाधान. इसके माध्यम से दिव्यांगजनों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।Screenshot_2022-12-04-04-56-27-47.jpg