मुलायम के लिए इस नेता ने ठुकरा दिया था मुख्यमंत्री का पद, नेताजी ने हमेशा निभाई दोस्ती

in #kannauj2 years ago

मुलायम सिंह यादव से बेनी प्रसाद वर्मा की गहरी दोस्ती थी। उन्होंने इसे पूरी शिद्दत और ईमानदारी से निभाया। बेनी ने एक बार मुलायम सिंह के लिए मुख्यमंत्री का पद भी ठुकरा दिया था।Screenshot_20221010-163524_Chrome.jpg

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर से जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। जिले के कद्दावर नेता रहे बेनी प्रसाद वर्मा से मुलायम सिंह यादव की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि मुलायम सिंह यादव का बाराबंकी से बहुत गहरा नाता था। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब बेनी वर्मा दोबारा सपा में लौटे तो मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि पुरानी किताब, पुरानी शराब और पुराने दोस्त कभी भुलाये नहीं जा सकते। इतना ही नहीं एक बार बेनी प्रसाद वर्मा ने मुलायम सिंह यादव के लिए मुख्यमंत्री का पद ठुकरा दिया था।

सन 1977 में बेनी प्रसाद वर्मा ने विधानसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेसी वरिष्ठ नेता मोहसिना किदवई को मसौली विधानसभा सीट से हराया था। वर्ष 1977 के चुनाव के बाद बनी समाजवादियों की सरकार ने केवल उन्हीं लोगों को जगह दी गई थी जो इमरजेंसी के दौरान जेल में बंद थे। लेकिन इमरजेंसी में जेल ना जाने के बावजूद लखनऊ यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट बनने वाले बेनी प्रसाद वर्मा पहली बार 1977 में मुलायम सिंह यादव ने जनता पार्टी की सरकार में गन्ना विकास चीनी उद्योग एवं कारागार सुधार विभाग का मंत्री बनाया था। तभी से मुलायम सिंह यादव और बेनी प्रसाद वर्मा के बीच करीबियां बढ़ती चली गई।

1989 में प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनने पर बेनी प्रसाद वर्मा को सार्वजनिक निर्माण एवं संसदीय कार्य मंत्री के रूप में नंबर दो की हैसियत से नवाजा गया। 1992 में जब मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में समाजवादी पार्टी का गठन हुआ तो बेनी प्रसाद वर्मा को राष्ट्रीय महासचिव के साथ ही विधान मंडल दल का मुख्य सचेतक मुलायम सिंह यादव ने बनाया था।
मुुलायम सिंह के खिलाफ नहीं बोला एक भी शब्द
बेनी बाबू की मुलायम सिंह यादव से गहरी दोस्ती थी। यही कारण था कि बेनी बाबू की मुलायम सिंह से खटकी तो बगावत कर अलग दल बना लिया फिर कांग्रेस में भी शामिल हो गये लेकिन नेता जी ने उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला। 13 मई 2016 को बेनी की सपा में पुनः वापसी हुई। दल में वापस लौटने पर मुलायम सिंह यादव ने अपनी दोस्ती निभाते हुए बेनी प्रसाद वर्मा को तुरंत राज्यसभा भेज दिया।

दोनों में रिश्ते इतने गहरे थे कि बेनी बाबू ने दल तो छोड़ा पर मुलायम सिंह यादव ने अपने दिल से उन्हें नहीं निकाला। नेता जी उन्हें सूझबूझ वाला और प्रदेश की राजनीति का अच्छा ज्ञान रखने वाला नेता मानते थे। विकास की बात की जाए तो दोनों नेताओं ने एक ही दिन चुना। इटावा का सैफई हो या बाराबंकी का सिरौलीगौसपुर दोनों को ब्लॉक और तहसील का दर्जा एक साथ दिया गया।

संचार मंत्री के रूप में सैटेलाइट सिस्टम से सीधे बात करने की सुविधा भी सिरौलीगौसपुर से सैफई के लिए की गई। पांच दशक तक राजनीति के अर्श से फर्श तक का सफर तय करने वाले जिले के खाटी समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा को राजनीति में रामसेवक यादव लाए थे पर उनकी दोस्ती के बीच के कुछ साल छोड़ दिए जाएं तो मुलायम सिंह यादव से इतने गहरे संबंध शायद किसी से नहीं थे।

सपा में नेता जी के बाद वही नंबर दो पर रहे हैं। अजीत सिंह के मुकाबले उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में सबसे अहम भूमिका बेनी बाबू की ही था। कई बार उन्होंने खुद जिक्र करते हुए बताया कि वर्ष 1989 में मुलायम सिंह यादव और अजित सिंह के बीच उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए लाया गया तो उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया कि मुलायम मेरे मित्र हैं, मैंने उनका नाम प्रस्तावित किया है और वही मुख्यमंत्री बनेंगे।
भावुक हो गए रामसागर रावत
चार बार सांसद और तीन बार विधायक बनने वाले जिले के पुराने नेता राम सागर रावत मुलायम सिंह यादव के निधन की सूचना पाकर भावुक हो गए। पूरा जीवन मुलायम सिंह यादव में आस्था रखने वाले राम सागर रावत के कहने पर मुलायम सिंह यादव उनके घर भी आए थे। राम सागर ने कहा कि मुलायम सिंह यादव समाजवादी विचारधारा के अग्रदूत थे।Screenshot_20221010-163524_Chrome.jpg

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