लंबे इंतजार के बाद मेहरबान हुए सावन के बादल
डिंडौरी गोरखपुर। करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर सहित अंचल में लंबे इंतजार के बाद सावन में झमाझम वर्षा हुई। जबकि कयास लगाए जा रहे थे कि सावन माह के प्रारंभ से सावनी झडी के रुप में वर्षा होगी। झडी तो लगी नहीं लेकिन सावन माह का पखवाडा बीतने को है और दो दिन से अच्छी वर्षा हो रही हैं। वर्षा खरीफ की फसलों के लिए अमृत वर्षा के रुप में बताई जा रही है। किसान धान और सोयाबीन की बोवनी के बाद फसलों में वृद्घि के लिए मूसलाधार वर्षा की प्रतीक्षा में रहे। दो दिन की वर्षा से जहां किसानों के चेहरे पर खुशी वापस लौट आई हैं वहीं खरीफ की फसल के लिए किसान इस वर्षा को अमृतरुपी वर्षा मान रहें हैं। तेज वर्षा से शनिवार को झनकी से सढवा जाने वाले मार्ग पर सिवनी नदी का भी जलस्तर बढ गया और लगभग एक घंटे तक पुल के ऊपर लगभग दो फिट बाढ का पानी बहता रहा। लोग जान जोखिम में डालकर पुल पार करते रहे।
धान की रोपाई प्रगति पर
वर्षा के पूर्व किसान धान की फसल के लिए मूसलाधार वर्षा का इंतजार कर रहे थे। किसानों का कहना था कि जब तक धान वाले खेतों में लबालब पानी नहीं भरेगा तक तक न तो रोपा लगाया जा सकता और न ही अच्छे उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है। बहरहाल दो दिन की वर्षा के बाद धान के रोपण कार्य में काफी तेजी आई हैं। धान का उत्पादन करने वाले किसान सुबह से खेतों की ओर जाते नजर आ रहें हैं। दूरदराज के क्षेत्रों में भी वर्षा का क्रम बना हुआ हैं । आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी वर्षा शुरू होने से लोग खुश नजर आए। इस वर्षा ने किसानों को कुछ हद तक राहत दे दी हैं। जिन किसानों के खेतों में सोयाबीन की फसल अंकुरित हो चुकी हैं, उनका कहना हैं कि फसलों के लिए यह अमृत की वर्षा हैं। खरीफ की अन्य फसल धान, उडद व मक्का को भी इस वर्षा का लाभ मिलेगा। ग्राम माधोपुर के किसान बहादुर सिंह परस्ते ने कहा कि हमने खेत में सोयाबीन की फसल बोई हैं। लेकिन वर्षा नहीं होने से परेशानी बढ़ गई थी। इसे अमृत वर्षा ही कहा जाएगा। क्षेत्र की प्रमुख फसल धान की बुआई करने वाले दीपक तेकाम ने बताया कि धान की रोपाई का कार्य प्रगति पर है ।
जान जोखिम में डाल पुल पार कर रहें ग्रामीण
पहाडी इलाकों में हो रही लगातार वर्षा से नदी नालों का भी जल स्तर बढ गया हैं। अलग अलग क्षेत्रों में बाढ जैसे हालात बन रहे हैं। शनिवार को भी झनकी से सढवा जाने वाले मार्ग पर सिवनी नदी का भी जलस्तर बढ गया और लगभग एक घंटे तक पुल के ऊपर लगभग दो फुट बाढ का पानी बहता रहा। इस दरमियान ग्रामीण जान की परवाह किए बिना तेज बहाव में पैदल तथा दोपहिया वाहनों के साथ जान जोखिम में डाल पुल पार करते रहें। इस बीच बडे वाहन चालकों ने समझदारी का परिचय देते हुए वाहनों को किनारे खडा कर बाढ उतरने का इंतजार करते रहें और जब पुल पर से पानी हट गया तभी वाहनों को पार कराया
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