यूक्रेन स्‍टूडेंट्स को वॉर विक्टिम मानने से केंद्र का इनकार, SC ने पूछे तीखे सवाल

in #delhi2 years ago

यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर आए छात्रों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई जारी है. इस दौरान छात्रों के वकील राजीव दत्ता ने कोर्ट से कहा कि जिनेवा कन्वेंशन के हिसाब से देखें तो ये छात्र वॉर विक्टिम की श्रेणी में आते हैं.

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SG तुषार मेहता ने कहा कि तीन तरह के छात्र हैं, जिन्हें यूक्रेन से वापस लाया गया. पहले वे हैं जिन्होंने अपनी डिग्री पूरी कर ली थी, बस सर्टिफिकेट लाना था. हमने राजनयिक चैनलों का उपयोग करके अनुरोध किया है कि उनकी डिग्री दी जा सकती है ताकि वे यहां निवास कर सकें. दूसरा, जो अंतिम वर्ष में थे. हमने एक प्रावधान किया है, कि वे अंतिम वर्ष की पढाई ऑनलाइन कर सकते हैं. तीसरे वो जिन्होंने पढ़ाई तो शुरू की थी या फिर एक या दो साल की पढ़ाई कर ली थी, लेकिन उनकी ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो सकती. उनको प्रैक्टिकल ज्ञान जरूरी है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि भारत सरकार ने अपने चैनल के जरिए व्यवस्था की है और कर भी रही है, लेकिन किसी देश पर इन छात्रों को लाद नहीं सकते. हम उनसे राजनयिक स्तर पर अनुरोध ही कर सकते हैं. हम उन देशों से बातें कर रहे हैं जिनका यूक्रेन के विश्वविद्यालयों के साथ तालमेल और कई तरह के करार हैं. यूक्रेन सरकार भी इन छात्रों को उन चिह्नित देशों में ट्रांस्‍फर देने पर राजी है.

कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या इस बाबत छात्रों की काउंसलिंग यानी उनसे बातचीत की जा रही है? कोई पोर्टल या कोई परामर्श दफ्तर खोला गया है जहां से परेशान छात्र या अभिभावक जानकारी हासिल कर सकें? उनको पता चल सके कि आखिर किन देशों और वहां के किन-किन मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर के लिए अप्लाई कर सकते हैं?

सरकार के पैरोकार सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हां लाइजनिंग अफसर है. इसपर कोर्ट ने कहा कि 20 हजार छात्र और एक लाइजनिंग अफसर? पागल नहीं हो जाएंगे वो अफसर जिन्हें रोजाना छात्रों को बताना और समझाना होगा! आप क्यों छात्रों को दौड़ाते रहना चाहते हैं? पोर्टल बनाकर उनकी परेशानी आसान क्यों नहीं कर देते? पोर्टल बनाइए. सरकार के पास तो संसाधन हैं. पलक झपकते सूचना दीजिए परेशान छात्रों को.

एक आरोप ये भी था कि कुछ एजेंट छात्रों को बरगला रहे हैं. ठीक है सरकार स्थापित नियमों के मुताबिक छात्रों को अपने देश के मेडिकल कॉलेजों में समायोजित नहीं कर सकती, लेकिन उनको सही सूचना और गाइडेंस तो दीजिए. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मुझे सरकार से इस बाबत समुचित निर्देश लेने और आपको बताने के लिए कुछ मोहलत दीजिए. इस पर याचिकाकर्ता छात्रों के वकील राजीव दत्ता ने कहा कि कोर्ट सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगे ताकि SG सरकार के निर्देश अपने जवाब में शामिल कर सकें.

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वो छात्र युद्ध पीड़ित नहीं हैं. नोटिस जारी करते ही छात्रों के मन में ये बात बैठ जाएगी की वो तो वार विक्टिम यानी युद्ध पीड़ित हैं, वो मुआवजे के भी हकदार हैं. नोटिस के बाद बात किसी और दिशा में चली जाएगी. सरकार शुरू में ही बता चुकी है की उनको भारत में समायोजित नहीं किया जा सकता, लेकिन विकल्पों पर गंभीरता से बात चल रही है. कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार को होगी.