30 नवंबर तक सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के वादे फेल, बदहाली पर आंसू बहा रहा बघौली-प्रतापनगर मार्ग

in #damage2 years ago

FB_IMG_1669915329049.jpgहरदोई: दशकों से जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते जनपद के बघौली-प्रताप नगर सड़क मार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। हाल ही में शासन-प्रशासन के नुमाइंदों द्वारा 30 नवंबर तक सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का किया गया वादा भी फेल हो गया है वह इस मार्ग की बदहाल स्थिति को देखकर साफ तौर पर कहा जा सकता है। इस मार्ग से गुजरने वाले सैकड़ों गांवों के लोगों की आस भी टूट चुकी हैं।

पीडब्ल्यूडी के विभिन्न खंडों को करीब 7 करोड़ रुपए के बजट की मांग के सापेक्ष शत-प्रतिशत बजट मिल चुका है। लोक निर्माण विभाग के नोडल अधिशासी अभियंता शरद मिश्र के अनुसार गढ्ढा मुक्त कार्य प्रगति 95 फ़ीसदी तक पहुंच गई है। कुछ सड़के बची हैं जिसको एक-दो दिन में गड्ढा मुक्त कर दिया जाएगा। पर 3 जिलों कन्नौज हरदोई और सीतापुर को जोड़ने वाले बघौली-प्रतापनगर मार्ग की हालत बदतर बनी हुई है। क्षेत्रीय लोगों द्वारा लगातार इस मार्ग के निर्माण को लेकर उठती मांगों के बावजूद आज भी इस मार्ग के बदहाली की समस्या जस की तस बनी हुई है। सरकारी नुमाइंदों के बताए अनुसार इस सड़क मार्ग की स्वीकृत शासन स्तर पर नहीं हो सकी है हालांकि जिले के पीडब्ल्यूडी विभाग के अनुसार इस मार्ग का 7 मीटर चौड़ा एस्टीमेट बनाकर शासन स्तर पर अप्रूवल हेतु भेजा जा चुका है। इसके चौड़ीकरण के चक्कर में गड्ढे भी नहीं पट पाए हैं।

84 कोसी परिक्रमा के दौरान नैमिषारण्य जाने वाले परिक्रमार्थी कांवरियों एवं श्रद्धालुओं के जब ठेका आवागमन इसी मार्ग से होता है। इसके अलावा इस मार्ग से रोजाना हजारों की संख्या मे छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन भी होता है। बावजूद इसके यह मार्ग एक अरसे से उपेक्षा का शिकार है। जिसके कारण इस मार्ग पर प्रतिदिन आने-जाने लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से यह समस्या कई बार समाचार पत्रों व चैनलों की प्रमुख सुर्खियों में रही है। लोकसभा मिश्रिख की पूर्व सांसद अंजू बाला द्वारा कई माह पूर्व ट्वीट के माध्यम से बताया गया था कि कन्नौज मटियामऊ माधोगंज बघौली प्रतापनगर मिश्रिख सीतापुर नई 4 लेन मार्ग की योजना तैयार हो गयी है इस सम्बन्ध में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाक़ात कर प्रेषित प्रस्ताव पर संस्तुति की गयी थी पर आज भी समस्या जस की तस बनी हुई है और यह मार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

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वादे कागजों के लिए होते है, जमीनी स्तर के लिए नहीं, इसलिए यह मार्ग जस की तस है।