देश की पहली रैपिड रेल दिसंबर से शुरू होने की उम्मीद, अलवर,नई दिल्ली,गाजियाबाद,मेरठ के बीच दौड़ेगी

in #agra2 years ago

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नई दिल्ली। भारत में जहां सड़क परिवहन राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा पूरे देश में सड़कों का तेजी के साथ नेटवर्क बढ़ाया जा रहा है जिससे यातायात सुगम हो सके तो वहीं दूसरी तरफ शताब्दी के बाद गतिमान और अब रैपिड रेल भी भारत में दिसंबर से दौड़ेगी। गुजरात से गाजियाबाद के डिपो में रैपिड रेल के डिब्बे भेजे जा रहे हैं। भारत की पहली रीजनल ट्रांजिट रैपिड रेल (Delhi-Meerut Rapid Rail) इसी साल के आखिर से चलनी शुरू हो जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये रेल दिसंबर से दुहाई से साहिबाबाद स्टेशन के बीच चलने लगेगी। इसके बाद साल 2025 तक ये 82 किमी लंबे अपने कॉरिडोर पर पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगी। इस रेल में शुरुआत में छह डिब्बे होंगे। यदि यात्रियों की संख्या बढ़ी या सामान लाने-ले जाने की मांग बढ़ी, तो डिब्बे भी बढ़ा दिए जाएंगे. हालांकि इस रेल में अधिकतम 9 डिब्बे ही रहेंगे।

बताते चलें कि दिल्ली रैपिड रेल का काम तेजी से किया जा रहा है। रैपिड रेल दिल्ली से मेरठ के बीच चलेगी। आरआरटीएस का पहला ट्रेनसेट गुजरात के सावली से गाजियाबाद के दुहाई डिपो भेजा गया। इस सेमी-हाई-स्पीड एरोडायनामिक आरआरटीएस ट्रेनसेट को एल्सटॉम के फ़ैक्टरी से एक बड़े ट्रेलर पर रख कर भेजा गया, जो लगभग 10 दिन के यात्रा के बाद सडक़ मार्ग से यहां आ सका।
इस रैपिड रेल को सराय काले खां– गाज़ियाबाद – मेरठ कॉरिडोर पर ही चलाया जाने वाला है । पहले इसका ट्रायल होगा। माना जा रहा है कि मार्च 2023 तक इस ट्रेन का संचालन भी शुरू हो जाएगा।

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रैपिड रेल को ज्यादा से ज्यादा 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है । औसत ये एल 100 किमी प्रति घंटे कि रफ्तार से दौड़ने वाली है । इस रेल से 60 मिनट में दिल्ली से मेरठ का सफर तय किया जा सकता है। एनसीआरटीसी के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी पुनीत वत्स ने बताया कि रैपिड रेल के लिए सभी तैयारियों को पूरा किया जा रहा है।

दिल्ली को मेरठ, अलवर और पानीपत से जोड़ेगी

एनसीआर परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह के मुताबिक रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के विकास के पीछे हमारा दृष्टिकोण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के करोड़ों लोगों के लिए एक तेज, आरामदायक और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन साधन प्रदान करके उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। आरआरटीएस एक नई रेल आधारित प्रणाली है जो दिल्ली को मेरठ, अलवर और पानीपत जैसे क्षेत्रीय नोड्स से गति के साथ जोड़ेगी और वर्तमान यात्रा समय को एक तिहाई कर देगी।

आरआरटीएस पारंपरिक रेलवे और मेट्रो से अलग है. यह यात्रियों को तेज रफ्तार और कम स्टापेज के साथ लंबी दूरी की यात्रा करने की सुविधा प्रदान करेगा। आरआरटीएस के तीनो कारिडोर भी इंटरओपरेबल बनाए जा रहे हैं, जिससे यात्रियों को एक कारिडोर से दूसरे कारिडोर में जाने के लिए ट्रेन बदलने की जरूरत नहीं होगी। आरआरटीएस स्टेशनों का परिवहन के अन्य साधनों जैसे मेट्रो स्टेशनों, बस डिपो, हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशनों के साथ एकीकरण भी किया जा रहा है।
दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत तीनों ही कारिडोर पर रैपिड रेल 50 प्रतिशत तक हरित ऊर्जा से दौड़ेगी। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए एनसीआर परिवहन निगम ने इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। गौरतलब है कि दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रूट पर देश के पहले रीजनल रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कारिडोर का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करना है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा संचालित आरआरटीएस एनसीआर में परिगमन के ग्रीन मोड के रूप में काम करेगा। आरआरटीएस के परिचालन में हरित अथवा नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा।

एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस सिस्टम के लिए मुख्य रूप से अक्षय और सौर ऊर्जा से मिश्रित ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआइ) के साथ एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) भी साइन किया है, जिससे सिस्टम को लंबे समय तक चलाया जा सके। एनसीआरटीसी ने अभी न्यूनतम 10 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य बनाया है तथा दिल्ली -गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की कुल ऊर्जा आवश्यकता का लगभग 40 प्रतिशत तक नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त/उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है।

अगर यह ट्रेन दिल्ली अलवर गाजियाबाद और मेरठ के बीच सफल रहती है तो उम्मीद की जा सकती है कि अन्य महानगरों में भी जल्द ही इस रेल की शुरुआत होगी और लोगों को सुगम एवं कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंचाने में सफल होंगी। जिससे निश्चित रूप से लोगों का समय बचेगा।

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