मदरसा, दरगाह, मस्जिद सब हटेंगे, किसी भी पक्ष को राहत नहीं, हाई कोर्ट ने कहा

in #wortheumnews2 years ago

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाई गई इमारतों को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने कहा है कि रेलवे एक माह के भीतर इन्हें हटाए। इनमें मदरसा, दरगाह, मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थल शामिल हैं।
अरुणशुक्ला - हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाई गई इमारतों को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने कहा है कि रेलवे एक माह के भीतर इन्हें हटाए। इनमें मदरसा, दरगाह, मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थल शामिल हैं।

नैनीताल हाई कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय मिश्र और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से काबिज लोगों को कोई राहत नहीं दी है। खंडपीठ ने रेलवे और नैनीताल प्रशासन को एक महीने में ये जमीन खाली कराने को कहा है। खंडपीठ ने रवि कुमार जोशी की एक जनहित याचिका पर पहले से ही इस भूमि को खाली कराने का आदेश करीब दो साल पहले हुआ था, लेकिन राजनीतिक कारणों से ये आदेश पूरा नहीं हुआ। याचिकाकर्ता के दोबारा हाई कोर्ट पहुंचने से ये मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया।
रेलवे की जमीन पर मदरसा गुंसाई गरीब नवाज रहमतुल्लाह बना हुआ है, मस्जिद और दरगाह बन गयी हैं। इनकी इंतजामिया कमेटी के संरक्षक इद्रीस अंसारी ने हाई कोर्ट में विशेष अपील की थी कि रेलवे के बिना नोटिस के अतिक्रमण हटाया रहा है। कोर्ट ने इस अपील को खारिज करते हुए कहा है एकल पीठ द्वारा पहले ही रवि जोशी की याचिका पर निर्णय दिया हुआ है। जिसके बाद रेलवे प्रबंधन ने अतिक्रमण क्षेत्र में नोटिस और डिमार्केशन का काम पूरा किया था।
जानकारी के मुताबिक रवि जोशी की याचिका पर 11 मई को हाई कोर्ट में फिर से सुनवाई की जानी है। कोर्ट पहले से ही रेलवे, नैनीताल प्रशासन और उत्तराखंड पुलिस के प्रमुख को ये कह चुका है कि वो 29 एकड़ जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाएं। रेलवे ने तीस दिनों में अतिक्रमण मुक्त करने की योजना का प्रारूप हाई कोर्ट में पेश कर दिया है। जिला प्रशासन ने पैरा मिलिट्री फोर्स को बुलाने यहां टिकाने और अन्य व्यवस्थाओं पर अपनी योजना को हाई कोर्ट के सामने रख दिया है।

रेलवे की 29 एकड़ भूमि के साथ-साथ नगर निगम की भूमि पर भी लोगों के अतिक्रमण हैं। प्रशासन ने इन्हें भी चिन्हित कर लिया है। पिछले 40 सालों से यह अतिक्रमण किया जा रहा था। कभी गौला नदी में खनन का काम करने वाला मजदूर तबका यहां झोपड़ियों में रहता था, जिसने बाद में धीरे-धीरे पक्के निर्माण कर लिए। इसी दौरान यहां अवैध रूप से काबिज लोगों ने मदरसे, दरगाह, मस्जिदों का भी निर्माण कर लिया। दिलचस्प बात ये है कि पिछले 40 सालों से प्रशासन यहां आंखे मूंद कर बैठा रहा।
जानकारी के मुताबिक यहां रेलवे सुरक्षा बल के अलावा दूसरे राज्यों से अर्द्धसैनिक सुरक्षा बल आ रहे हैं इनके अधिकारियों ने आकर हालात का जायजा भी लिया है। यहां करीब 4600 मकान तोड़े जाने हैं और लगभग 12 हजार की आबादी को हटाना है। जिनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। खास बात ये है कि ये आबादी कहां शिफ्ट होगी, इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। रेलवे के इस विवादित जमीन के पास ही वन विभाग की जमीन है। वन विभाग ने इस पर अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है।