आज तक हित व सरना ने अपनी भूल नहीं बख्शाई: kalka
श्री अकाल तख्त साहिब से 17 वर्ष पहले अवतार सिंह हित, परमजीत सिंह सरना व उनके साथियों को तनख्वाहिया करार दिया गया: हरमीत सिंह कालका, जगदीप सिंह काहलों
आज तक हित व सरना ने अपनी भूल नहीं बख्शाई
तनख्वाहिया करार दिये गये नेताओं को पंथक कमेटी से तुरंत निष्कासित किया जाए: कालका, काहलों
मनजीत सिंह जी.के द्वारा हित के स्कूल को 7 करोड़ 80 लाख 92 हज़ार रुपये जारी होने का भी किया खुलासा
नई दिल्ली
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष स. हरमीत सिंह कालका व महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने आज एक बड़ा खुलासा किया कि श्री अकाल तख्त साहिब से 17 वर्ष पूर्व जत्थेदार अवतार सिंह हित, परमजीत सिंह सरना व उनके साथियों को भानू मूर्ति द्वारा गुरबाणी के गलत अनुवाद को प्रकाशित करने पर तनख्वाहिया करार दिया गया था तथा इन नेताओं ने आज तक श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों का पालन नहीं किया।
आज यहां एक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए स. कालका व स. काहलों ने बताया कि उन्होंने भानू मूर्ति द्वारा गुरबाणी के गलत अनुवाद को प्रकाशित करने का मामला ज्ञानी हरप्रीत सिंह जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब के संज्ञान में लाया था तथा कार्रवाई की मांग की थी। हमारे पत्र के जवाब में अब श्री अकाल तख्त साहिब से जवाब मिला है। उन्होंने बताया कि इस मामले में तत्कालीन जत्थेदार ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती द्वारा किये आदेशों की कापी भी साथ भेजी है। उन्होंने बताया कि ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती ने भानू मूर्ति द्वारा गुरबाणी के किये अनुवाद के साथ गुरबाणी की हुई बेअदबी के मामले में जत्थेदार अवतार सिंह हित पूर्व अध्यक्ष, प्रहलाद सिंह चंडोक पूर्व अध्यक्ष, परमजीत सिंह सरना उस समय के अध्यक्ष व उनके अन्य साथियों को तनख्वाहिया करार दिया था। उन्हें सपष्ट आदेश किया गया था कि वह श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हों तथा भूल बख्शायें। उन्होंने बताया कि आज 17 वर्ष बाद भी जत्थेदार हित व परमजीत सिंह सरना ने श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों का पालन नहीं किया तथा भूल नहीं बख्शाई।
उन्होंने कहा कि बहुत ही शर्म की बात है कि जत्थेदार हित, परमजीत सिंह सरना व इनके साथी श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों की परवाह नहीं कर रहे और आज भी तनख्वाहिया होने के बावजूद आराम से घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे भी बड़ी बात यह है कि शिरोमणि कमेटी ने इन तनख्वाही नेताओं को बंदी सिंहों के मामले में बनी कौम की कमेटी में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष को इस तथ्य का नोटिस लेना चाहिए तथा इन्हें तुरंत कमेटी से बाहर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन्हें शामिल करने की जिम्मेवारी भी शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष की बनती है तथा उन्हें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बड़ी बात यह है कि उस समय इनके खिलाफ शिकायत करने वाली संस्था को भी श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले की जानकारी नहीं दी गई और यह फैसला फाइलों में दबा दिया गया क्योंकि बादल परिवार जत्थेदार हित की रक्षा करने में लगा था। दोनों नेताओं ने मांग करते हुए कहा कि जैसे श्री अकाल तख्त साहिब से पंथ रतन व फख्र-ए-कौम के अवार्ड दिये जाते हैं उसी प्रकार जत्थेदार हित को गद्दार-ए-कौम का अवार्ड दिया जाना चाहिए।
जत्थेदार हित, सरना बंधूओं व मनजीत सिंह जी.के द्वारा किये गठजोड़ पर टिप्पणि करते हुए स. कालका व स. काहलों ने कहा कि इन सभी का मकसद केवल गुरुघरों के प्रबंधों पर कब्ज़ा करना है। उन्होंने कहा कि इन्हें संगत ने नकार दिया है और अब यह इकट्ठे होने के दावे कर रहे हैं।
स्कूलों के मामले की बात करते हुए स. हरमीत सिंह कालका व स. जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि वह चाहते हैं कि जब से तनख्वाह का मामला शुरु हुआ तथा स्कूलों के प्रबंध उलझे, उस सभी मामले की जांच दिल्ली के सूझवान सिखों द्वारा की जानी चाहिए और हम इस मामले में उन्हें हर प्रकार का सहयोग देंगे। उन्होंने बीते दिनों प्रेस कान्फ्रेंस में इस मामले पर सरना बंधूओं के बीच मतभेद की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि वह तो अलग-अलग मांग कर रहे थे कि कहीं मनजीत सिंह जी.के की जांच में न फंस जायें। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने गुरु की गोलक लूटी हो, उसे संगत में लाकर जूते मारने चाहिए।
हरी नगर के स्कूल की बात करते हुए दोनों नेताओं ने बताया कि जब जत्थेदार हित को स्कूल दिया गया था तो उसमें केवल 130 बच्चे थे और जत्थेदार हित ने स्टाफ 50 बच्चों का लगा लिया। उन्होंने बताया कि मनजीत सिंह जी.के के अध्यक्ष रहते हुए 2013 से 2019 तक 7 करोड़ 80 लाख 92 हज़ार 165 रुपये की राशि इस स्कूल के लिए दी जिसमें से रकम निकलवा कर जत्थेदार हित मनजीत सिंह जी.के को हिस्सा देते रहे। उन्होंने कहा कि सरना बंधू दावा कर रहे हैं कि हम 130 करोड़ रुपये पीछे छोड़ कर गये हैं मगर हम पूरी सच्चाई संगत के समक्ष रखेंगे कि जब जी.के अध्यक्ष बने थे तो सरना बंधू क्या छोड़ कर गये थे।
मनजीत सिंह जी.के द्वारा अध्यापकों को छठे वेतन आयोग का लाभ देने से रोकने के लिए स. मनजिंदर सिंह सिरसा पर दोष मंढ़ने के मामले पर उन्होंने कहा कि जी.के ने 51 लाख रुपये अलग-अलग संस्थाओं को दिये तथा किसी भी सदस्य को भनक तक नहीं लगने दी और तो क्या उस समय उन्हें किसी ने भी नहीं रोका? उन्होंने कहा कि मनजीत सिंह जी.के ने 17 व 19 लाख रुपये के बलब के बिल डाले, तब किसी ने नहीं रोका?
स. कालका ने सरना गुट के उन सदस्यों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने उन तक पहुंच की है तथा सरना भाईयों द्वारा पार्टी को निरादर करने वालों के साथ जोड़ने के प्रयासों का विरोध किया है।