1984 के श्री अकाल तख्त साहिब हमले की वर्षगांठ के मौके पर गुरमति समागम आयोजित

in #wortheumnews2 years ago

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा 1984 के श्री अकाल तख्त साहिब व श्री हरिमंदिर साहिब पर हमले की वर्षगांठ के मौके पर गुरमति समागम आयोजितScreenshot_20220605-064252_Facebook.jpg
दिल्ली सिख मार्शल कौम ने हमेशा बहादुरी के साथ हमलावरों का सामना दिल्लीकिया: हरमीत सिंह कालकाScreenshot_20220605-064137_Facebook.jpg

सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा आज 1984 में श्री अकाल तख्त साहिब व श्री हरिमंदिर साहिब पर फौज द्वारा किये गये हमले की वर्षगांठ गुरमति समागम आयोजित कर मनाई गई। इस मौक पर एतिहासिक गुरुद्वारा बंगला साहिब में श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डाले गये और कीर्तन दरबार सजाये गये।Screenshot_20220605-064115_Facebook.jpg
इस समागम को संबोधित करते हुए दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष स. हरमीत सिंह कालका ने कहा कि अरदास समागम हम हर वर्ष 4 जून को मनाते हैं जबकि जून के पहले सप्ताह में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1984 में श्री अकाल तख्त साहिब पर तोपों से हमला किया और श्री हरिमंदिर साहिब को भी गोलियों से छलनी कर दिया। दुनिया में शायद ही कोई सिख हो जो इस दिन को कभी भूल सकेगा। उस काले दिन को हम 38 वर्ष बाद भी याद करते हैं तथा जिन सिंहों ने उस समय श्री अकाल तख्त साहिब व श्री हरिमंदिर साहिब की रक्षा के लिए अपनी शहादतें दीं उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।Screenshot_20220605-064237_Facebook.jpg
उन्होंने कहा कि उस समय की कांग्रेस सरकार ने हमारे गुरुधामों पर हमला कर उस सिख सोच को समाप्त करने की कोशिश की जिस कौम ने इस देश की आज़ादी में सबसे अधिक योगदान डाला। इससे शर्मनाक दिन भारत के इतिहास में कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हैरानीजनक है कि जिस महान जरनैल को पकड़ने के लिए उस गुरुद्वारा परिसर में फौजें भेजी गईं उसके खिलाफ किसी भी पुलिस थाने या चौकी में एक भी एफ.आई.आर दर्ज नहीं थी। यह केवल एक जरनैल या व्यक्ति पर नहीं बल्कि समूची कौम पर हमला था। मगर अफसोस की बात है कि आज भी हमारे कुछ लोग हैं जो उनका दामन थामे हुए हैं जिन्होंने 1984 को अंजाम दिया तथा नरसंहार करवाया।Screenshot_20220605-064554_Facebook.jpg

उन्होंने आगे कहा कि समय की मांग है कि जब हम अपने गुरु को मानते हैं तो गुरु साहिब की बात भी माननी शुरु करनी चाहिए। हमे सदैव चढ़दीकला में रहना है इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि नई पीढ़ी को गुरुबाणी के साथ जोड़ें तथा इस कार्य में संगत का सहयोग अधिक महत्वपूर्ण है।
इस दौरान धर्म प्रचार कमेटी के मुखिया स. जसप्रीत सिंह कर्मसर ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है जब-जब सरकारों द्वारा सिखों के साथ जुल्म करने का प्रयास हुआ तो कौम ने एकजुट होकर उसका मुकाबला किया। सिख कौम अपने शहीदों का पूर्ण सम्मान करती है इसलिए ऐसे समागम आयोजित कर शहीदों को याद करती है ।Screenshot_20220605-064217_Facebook.jpg
समागम के मौके पर अन्यों के अलावा कमेटी के उपाध्यक्ष आत्मा सिंह लुबाणा, कमेटी सदस्य गुरदेव सिंह, अमरजीत सिंह पिंकी व बड़ी संख्या में संगत मौजूद रही।

ਗੁਰਦੇਵ ਸਿੰਘ ਗਿੱਲ