बाघों को मिला अपना रास्ता, हाईवे नहीं अब जंगलों को जोड़ते अंडरपास से करेंगे रोड पार
किसी भी जंगल में बाघों व अन्य वन्यजीवों के लिए रास्ता दिए जाने का यह पहला मामला है। इसी का नतीजा है कि तीन माह से एक भी बाघ ने हाईवे पर आकर रोड पार नहीं किया। दुधवा के बाद अगर कहीं सबसे ज्यादा बाघों की आमदोरफ्त है तो वह है महेशपुर का जंगल। छोटा होने के बाद भी यह जंगल बाघों के लिए काफी उपयुक्त है। यहां करीब 17 बाघों की मौजूदगी बताई जाती है। महेशपुर का यह जंगल हाईवे के किनारे है। इसी हाईवे से बरेली, दिल्ली, शाहजहांपुर जाने वाले वाहन गुजरते थे। मुसीबत तब खड़ी होती थी, जब बाघ जंगल पारकर हाईवे पर चढ़ आते थे और हाईवे के बाद वे पास की बस्तियों तक पहुंच जाते थे। महेशपुर में बाघों की दहशत कई साल रही। बाघों ने कई लोगों की जान ली। पर यहां वन विभाग का कोई ऑपरेशन कामयाब नहीं हुआ। कभी बाघ को पहचाना या पकड़ा नहीं जा सका।