रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई मामले में एलजी-सरकार में तकरार संभव

in #wortheumnews3 months ago

1000060363.pngरिज क्षेत्र में 1100 पेड़ों की कटाई मामले में उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच तकरार बढ़ सकती है। इस मामले में दिल्ली सरकार के मंत्रियों की फैक्ट फाइंडिंग समिति उपराज्यपाल की भूमिका की जांच कर रही है।

वहीं, अधिकारियों ने समिति पर ही सवाल उठा दिए हैं। 29 जून को दिल्ली सरकार के मंत्रियों की बैठक में सर्वसम्मति से मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन की समिति में शामिल किया गया था। पर्यावरण एवं वन विभाग के प्रमुख सचिव ने दावा किया है कि समिति बनाना नियमों का उल्लंघन है। साथ ही इससे सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना होगी। इस मामले में प्रमुख सचिव अनिल कुमार सिंह ने सोमवार को पत्र लिखा। इसमें कहा कि मंत्रियों की समिति का गठन जिस मामले में किया गया है वह सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।

सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन कर दिया है। इसमें भारतीय वन सर्वेक्षण के अधिकारी और अन्य निष्पक्ष विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। इसके अलावा, पत्र में दावा किया गया है कि समिति का गठन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार की कार्य संचालन भूमिका (टीओबीआर) 1993 के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। समिति का गठन दिल्ली सरकार की सामान्य प्रथा और प्रक्रिया से अलग है। मंत्रियों की समिति के माध्यम से प्रमुख सचिव (पर्यावरण और वन) को शहरी विकास मंत्री को रिपोर्ट करने के लिए कहा जा रहा है, जबकि मुख्यमंत्री ने इस आशय का कोई आदेश नहीं दिया गया है।

सिंह ने पत्र में कहा कि पर्यावरण और वन मंत्री समिति के सदस्य भी नहीं हैं। यह समिति केवल मंत्रियों का एक समूह है। इसका गठन कैबिनेट के द्वारा नहीं किया गया है। इस समिति को शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के हस्ताक्षरों के तहत मंत्रिपरिषद से किसी भी उचित प्राधिकार या मंजूरी के बिना गठित की गई है।

जांच में शामिल न होने के लिए अधिकारियों पर दबाव : सरकार
अधिकारियों के सवाल पर दिल्ली सरकार ने पलटवार किया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर पर बैठे लोगों के दबाव में अधिकारी जांच से भाग रहे हैं। सरकार का कहना है कि रिज क्षेत्र को दिल्ली का फेफड़ा है। मौसम में बदलाव के बाद लोग परेशान हैं। जांच के दौरान सामने आए डीडीए के कुछ ईमेल से पता चलता है कि यह सब एलजी के निर्देश पर किया गया। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि जब पर्यावरण और वन विभाग के अधिकारियों को पेड़ों की अवैध कटाई के बारे में पूरी जानकारी थी, तो उन्होंने जंगल की सुरक्षा क्यों नहीं की।