किरकिरी के बावजूद दिल्ली पुलिस में फंक्शनल रैंक को दी जा रही तवज्जो

in #wortheumnews21 days ago

1000069862.pngदिल्ली पुलिस (डीपी) में किरकिरी होने के बावजूद दिनों दिन फंक्शनल रैंक को तवज्जो दी जा रही है। फंक्शनल रैंक(एफआर) पुलिस अधिकारी को काम को देखने के लिए पदोन्नत कर अगली रैंक तो दे दी गई है, मगर कन्फर्म न होने की वजह से उनके पास कानूनी अधिकार नहीं है।

दिल्ली पुलिस ने अपराध शाखा में एफआर रैंक के एसीपी तैनात करने की वजह से कोर्ट से एक अपराधी को बरी कर दिया था। अब साइबर थानों के थानाध्यक्ष भी एफआर रैंक के इंस्पेक्टर लगाए जा रहे हैं। दो इंस्पेक्टरों को तो थानाध्यक्ष लगा दिया गया था। दिल्ली पुलिस ने एक दिन में अपनी गलती मानते हुए दोनों को पद से हटा दिया।

दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली पुलिस में पिछले कुछ सालों में खासकर सब-इंस्पेक्टर को पदोन्नति देकर इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर को एसीपी बना दिया गया है। मगर इनमें से ज्यादातर को अभी तक अभी कन्फर्म नहीं किया गया है। यानी कामकाज देखने के लिए इनको इंस्पेक्टर या एसीपी बना दिया गया है, मगर कोर्ट या फिर सरकार की ओर से इनको मान्यता नहीं दी गई है।

ऐसे में इनको कानूनी अधिकार नहीं है। दिल्ली पुलिस ने अपनी अपराध शाखा में एफआर रैंक के एसीपी को एसीपी लगा दिया गया था। इस कारण मादक पदार्थों के तस्करी करने वाला एक अपराधी गत वर्ष बरी हो गया था। अपराधी से मादक पदार्थों की तलाशी व जब्ती एसीपी यानि राजपत्रित अधिकारी के सामने ही की जा सकती है।

कोर्ट ने उन एसीपी से पूछा कि क्या आप एसीपी है तो उन्होंने कहा कि वह एसीपी हैं, जबकि उनकी सैलरी स्लिप व अन्य जगहों पर इंस्पेक्टर लिखा हुआ था। इस कारण कोर्ट ने अपराधी को बरी कर दिया। ऐसे ही अब दिल्ली पुलिस ने साइबर अपराध को बढ़ते देख हर जिले में एक साइबर थाना खोला था। मगर इन थानों के थानाध्यक्ष एफआर रैंक के इंस्पेक्टर लगा दिए गए। इन इंस्पेक्टर को चार्जशीट पर हस्ताक्षर करने का कानूनी अधिकार तक नहीं है।