'परिवार में ही शिकारी हो तो सुरक्षा कैसे की जा सकती है', भतीजी से दुष्कर्म के दोषी को 12 साल कैद की सजा
अदालत ने 2017 में नाबालिग भतीजी का अपहरण कर बार-बार दुष्कर्म करने के दोषी को 12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा, जब परिवार में एक शिकारी हो तो बच्चों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने हाल ही में आरोपी को दुष्कर्म, अपहरण और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के दंडात्मक प्रावधानों के तहत अपराध का दोषी ठहराया था।
अदालत ने कहा, दोषी ने नाबालिग पीड़िता का अपहरण कर बहला-फुसलाकर उसके साथ गंभीर यौन उत्पीड़न किया, जबकि वह पूरी तरह से जानता था कि दोषी पहले से ही शादीशुदा है। अदालत ने कहा, पीड़िता वारदात के समय 16-17 साल की थी।
अदालत ने कहा कि दोषी द्वारा बहकाए जाने या प्रभावित होने के बाद पीड़िता ने उसकी हवस के आगे घुटने टेक दिए। दोषी पीड़िता का चाचा है। घर को बच्चों के लिए दुनिया में सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है। साझा घर में रहने वाले लोगों को सबसे भरोसेमंद व्यक्ति माना जाता है... जब परिवार में कोई दरिंदा हो, तो कौन सुरक्षा करेगा?
अदालत ने कहा हमारे देश जैसे पितृ सत्तात्मक समाज में, हर कोई अवैध संबंध के लिए अपराधी द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न और बहकावे की किसी भी घटना में शामिल पीड़ित बच्चे को दोषी ठहराने में जल्दबाजी करता है। अदालत ने कहा कि इसके बजाय, पीड़ित बच्चे के साथ जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार दोषी, जो एक पारिवारिक सदस्य है पर ही पूरा दोष होना चाहिए। अदालत ने कहा कि बच्चे के सम्मान और गरिमा की रक्षा करने के बजाय, दोषी उल्लंघनकर्ता बन गया, जिसके कारण करीबी रक्त संबंधों की पवित्रता दूषित हो गई। अदालत ने पीड़िता को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
Please like my news