SC में हिजाब मामला: भगवा शॉल पहनना धर्म का प्रदर्शन, रुद्राक्ष से तुलना सही नहीं

in #wortheum2 years ago

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सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध मामले पर सुनवाई चल रही है. हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच जब सुनवाई कर रही थी, उस समय वकील कामत ने दलील दी कि वरिष्ठ अधिवक्ता परासरन धार्मिक चिन्ह धारण करते हैं, लेकिन क्या यह सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करता है.

सुनवाई के दौरान कामत ने कहा कि भगवा शॉल पहनना जानबूझकर एक धर्म का प्रदर्शन है इसे आर्टिकल 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के तहत नही रखा जा सकता. रुद्राक्ष और नमाम (एक तरह का माथे पर लगाया जाने वाला तिलक) से भगवा शॉल से तुलना नही की जा सकती.

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि आप अदालत में पेश होने वाले वकीलों की तुलना नहीं कर सकते, क्योंकि यह एक ड्रेस है. पहले डॉक्टर धवन ने पगड़ी का हवाला दिया, लेकिन राजस्थान में लोग पगड़ी को नियमित रूप से पहनते हैं.

कामत ने कहा कि संवैधानिक योजना में क्या हिटलर के वीटो की अनुमति है? ऐसी मिसालें हैं, जो बताती हैं कि ऐसा संभव नहीं है, यह अमेरिका का फैसला है, जिसका 2001 के फैसले में भारत में पालन किया गया था. उन्होंने कहा, “मैं पिछली बार वर्चुअल सुनवाई पर था और कर्नाटक एडवोकेट जनरल ने कहा कि कुछ छात्रों द्वारा भगवा शॉल पहनने की मांग के बाद सरकारी आदेश जारी किया गया था और उस संदर्भ में प्रतिबंध लगाया गया था. यहां सवाल यह है कि क्या आदेशों को अनुमति दी जा सकती है?”

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनने से किसी को ठेस नहीं पहुंचती, लेकिन अगर आप इसे स्कूल में पहनते हैं तो मतलब यह है कि आप सार्वजनिक व्यवस्था की बात कर रहे हैं. जस्टिस गुप्ता ने याचिकाकर्ता के वकील कामत से कहा कि आप बेंच का समय ना बर्बाद करें, सार्वजनिक व्यवस्था पर बात करें.