कफ सिरप से बच्चों की मौत के लिए भारतीय दवा कंपनी जिम्मेदार? सरकार ने गठित की जांच समिति

in #wortheum2 years ago

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अफ्रीकी देश गाम्बिया में खांसी की दवा (Cough Syrup) से 66 बच्चों की मौत के मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार ने डॉ. वाईके गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े शीर्ष सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. डॉ. वाईके गुप्ता सीनियर फार्माकोलॉजिस्ट और स्टैंडिंग नेशनल कमेटी ऑन मेडिसिन्स (SNCM) के उपाध्यक्ष हैं. यह समिति डब्ल्यूएचओ से प्राप्त प्रतिकूल मामलों की रिपोर्ट की जांच करेगी और उसके द्वारा साझा किए गए विवरणों का अध्ययन करने के बाद डीसीजीआई को कार्रवाई की सलाह देगी.

स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्र ने साथ ही बताया कि दवाओं के सैंपल की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है. जब तक रिपोर्ट नहीं आती तब तक इस कंपनी का प्रोडक्शन बंद रहेगा. हालांकि उन्होंने साफ किया कि फिलहाल संदेह में घेरे आई मेडेन फार्माश्यूटिकल्स कंपनी की गलती अभी सिद्ध नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि ‘अगर चार सैंपल फेल हुए तो पूरे बैच को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है.’

दरअसल हरियाणा के सोनीपत में स्थित मेडेन फॉर्मा के निर्माण परिसर का 1, 3, 6 और 11 अक्टूबर को निरीक्षण किया गया और उसी बैच की दवाओं के नमूने चंडीगढ़ लैब भेजे गए है. सूत्रों ने बताया कि इस मामले को लेकर सरकार सतर्क है और संयुक्त निरीक्षण किया जा रहा है. फिलहाल लैब रिपोर्ट का इंतजार है.

WHO ने दी दवाओं को लेकर चेतावनी
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को चेतावनी दी कि हरियाणा के सोनीपत स्थित ‘मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड’ द्वारा कथित तौर पर उत्पादित ‘दूषित’ और ‘कम गुणवत्ता’ वाले चार कफ सीरप पश्चिमी अफ्रीकी देश गांबिया में हुई बच्चों की मौत का कारण हो सकते हैं. इनमें प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सीरप, मकॉफ़ बेबी कफ सीरप और मैग्रीप एन कोल्ड सीरप शामिल हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक प्रोफेसर वाईके गुप्ता ने इससे पहले कहा था, ‘डब्ल्यूएचओ से यह सूचना चिंताजनक है कि एक भारतीय फार्मा कंपनी द्वारा निर्मित कफ सीरप में एथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी के कारण 66 बच्चों की मौत हो गई.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि, इसमें कुछ ऐसी कड़ियां हैं जिनका सावधानीपूर्वक पता लगाने और जांच करने की आवश्यकता है.’

डॉ. गुप्ता ने कहा कि पहली मौत जुलाई में सामने आयी थी जिसके इसी कारण से होने का संदेह है. भारत के औषधि महानियंत्रक डीसीजीआई को 29 सितंबर को डब्ल्यूएचओ से एक पत्र मिला था और भारत सरकार और औषधि महानियंत्रक ने फौरन कदम उठाये थे. डॉ. गुप्ता ने कहा कि पत्र मिलने के तुरंत बाद पूरा विवरण मांगते हुए एक जवाबी पत्र लिखा गया था. एक अक्टूबर को रविवार और दो अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश होने के बावजूद, जांच शुरू की गई.