इस्‍लाम में हिजाब पहनना जरूरी नहीं, ये धर्म का अनिवार्य हिस्‍सा नहीं: HC

in #wortheum3 years ago

Wortheum news :-बेंगलुरु: हिजाब मामले (Hijab Row) पर आज (मंगलवार को) कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने फैसला सुना दिया है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब मामले पर दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.

कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम काजी की बेंच उडुपी की मुस्लिम छात्राओं की याचिका पर सुनवाई के लिए गठित की गई थी. इन लड़कियों ने मांग की थी कि उन्हें क्लास में स्कूली यूनिफॉर्म के साथ-साथ हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए क्योंकि ये उनकी धार्मिक आस्था का हिस्सा है.

बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब बैन को बरकरार रखा है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की तरफ से कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति और 5 फरवरी के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने का कोई मामला नहीं बनता है.

चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि पूरे मामले का समग्र दृष्टिकोण लेते हुए हमने कुछ सवाल तैयार किए और उसी के अनुसार उत्तर दिए हैं. पहला सवाल था कि क्या हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है जो आर्टिकल 25 के तहत संरक्षित हैं. दूसरा सवाल था कि क्या स्कूल यूनिफॉर्म का निर्देश अधिकारों का उल्लंघन है? तीसरा सवाल था कि क्या 5 फरवरी का सरकारी आदेश अक्षम और स्पष्ट रूप से मनमाना होने के अलावा अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है?

जान लें कि एक जनवरी को उडुपी के एक कॉलेज की 6 लड़कियों ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया से बात की थी. इसका आयोजन कॉलेज प्रशासन की तरफ से इन लड़कियों को हिजाब पहनकर क्लास में जाने से रोके जाने के खिलाफ किया गया था.

बता दें कि 25 फरवरी, 2022 को ही कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई थी और हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने पहली सुनवाई 8 फरवरी 2022 को की थी. फिर 9 फरवरी 2022 को सिंगल बेंच ने मामले को बड़ी बेंच में भेजा. इसके बाद 10 फरवरी 2022 को 3 जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की और अगले आदेश तक छात्रों के धार्मिक पोशाक पर रोक लगा दी थी.