राजराज चोल को हिंदू राजा कहना कहां तक सही,

in #wortheum2 years ago

इन दिनों भारत में जाने-माने फ़िल्म निर्देशक मणिरत्नम की नई फ़िल्म पोन्नियन सेलवन-1 की बहुत चर्चा हो रही है.

इस फ़िल्म के माध्यम से चोल वंश के साम्राट राजराज चोल के बारे में कई नई जानकारियां भी सामने आई है जिनको लेकर चर्चा गर्म है.

9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच भारत के एक बड़े इलाक़े पर चोल वंश का शासन रहा था.

इस फ़िल्म को लेकर तमिल फ़िल्म निर्माता वेत्रिमारन ने कहा है कि राजराज चोल को हिंदू पहचान देने की कोशिश की गई है. इस वजह से तमिलनाडु पर हज़ारों साल पहले शासन कर चुके राजा की धार्मिक पहचान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.ये बात वेत्रिमारन ने दलित पार्टी 'विदुतलाई चिरुताइगल कच्ची' के नेता थोलकप्पियान तिरुमावलवन के 60वें जन्मदिन के मौक़े पर आयोजित समारोह में कही थी.उन्होंने कहा, "तिरुवल्लुवर का भगवाकरण किया जा रहा है. राजराज को हिंदू राजा कहा जा रहा है. वे तमिल लोगों की पहचान चुराने की कोशिश कर रहे हैं."

हालांकि इसके बाद एक अन्य तमिल फ़िल्ममेकर पेरारासू ने कहा, "राजराज चोल एक हिंदू राजा थे, सभी भारतीय हिंदू हैं."

इसके बाद तमिल राजा के धर्म को लेकर पूरे राज्य में बहस छिड़ गई है. तमिल टीवी चैनलों पर इस मुद्दे को लेकर डिबेट शो तक आयोजित किए जा रहे हैं.विवेकानंद कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर ए करुणानंदन कहते हैं, "इस विवाद पर कुछ बोलने से पहले हमें राजराज चोल के शासन काल के समय और हिंदू धर्म के इतिहास की तुलना करनी चाहिए."

वो कहते हैं, "राजराज चोल का शासन दसवीं और 11वीं शताब्दी का है. हिंदू शब्द का इस्तेमाल पहली बार उनके जीवनकाल के बाद हुआ था. जब राजराज चोल जीवित थे, तब हिंदू शब्द की उत्पत्ति भी नहीं हुई थी."

"अब तक चोल वंश के दौरान के जो भी शब्दालेख मिले हैं, उनमें हिंदू शब्द नहीं मिला है. तमिल सहित किसी भी भाषा में किसी धर्म को बतलाने के लिए उस वक्त हिंदू शब्द का इस्तेमाल किया ही नहीं गया था. इसलिए राजराज चोल को हिंदू कहने के लिए कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है."

करुणानंदन के मुताबिक़ राजराज केसमय में शैव और वैष्णव दो धर्म मूल रूप से प्रचलन में थे.

वे समझाते हुए कहते हैं, "राजराज के समय में अधिकांश लोग शैव धर्म को मानते थे, इस धर्म के लोग शिव को ईश्वर मानते थे. तब एक धर्म के तौर पर हिंदुत्व था ही नहीं. शैव और वैष्णव तब प्राथमिक तौर पर लोगों के धर्म हुआ करते थे, जबकि जैन और बौद्ध धर्म की लोकप्रियता कम हो रही थी. ये लोग भी शैव और वैष्णव संप्रदाय के अधीन ही थे. राजराज ने एक नए तरह का शैव संप्रदाय चलाया था जिसे पाशुपत शैव कहते हैं, इसलिए राजराज को हिंदू राजा नहीं कहा जा सकता."_126984475_88ab40ab-1daf-4919-afed-88310bbc109d.jpg.webp

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