योगी आदित्यनाथ 37 साल बाद 84 के सिख दंगा पीड़ितों को इंसाफ़ दिलवा पाएंगे?-

in #wortheum2 years ago

फ़रवरी 2019 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 1984 के सिख दंगों में कानपुर में हुई हत्याओं, लूटपाट और आगज़नी की घटनाओं की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था.

एसआईटी की अध्यक्षता पुलिस के एक डीजी स्तर के अधिकारी को सौंपी गई और एक रिटायर्ड जज, एक रिटायर्ड अतिरिक्त ज़िला अभियोजन अधिकारी और एक एसएसपी स्तर के पुलिस अधिकारी को एसआईटी का सदस्य बनाया गया.

एसआईटी ने 40 जघन्य मामलों की जांच शुरू की जिसमें 127 लोग मारे गए थे. इन 40 मामलों में से जिसमें 11 में चार्ज़शीट लगाई गई थी उनमें एसआईटी ने चार मामले में हाई कोर्ट में अपील दाख़िल करने की सरकार से सिफ़ारिश की है.

बचे 29 मामलों में क्लोज़र रिपोर्ट लगा दी गई थी. 29 में से 20 मामलों में एसआईटी ने 96 अभियुक्तों को चिह्नित किया. एसआईटी टीम ने अपनी जांच में अब तक 40 लोगों को गिरफ़्तार किया है जिसमें से तीन गिरफ़्तारियां इसी महीने 12 अक्टूबर को हुई हैं.वहीं गिरफ़्तार किए गए लोगों में से एक अभियुक्त धीरेंद्र तिवारी की तबीयत ख़राब होने से मौत गई. धीरेंद्र तिवारी की उम्र 70 साल थी. कानपुर में जानने की कोशिश की कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले शासनकाल में शुरू हुई इस जांच के क्या मायने हैं और 37 साल से ज़्यादा अरसे बाद हो रही इन गिरफ़्तारियों के बारे में क्या कहना है पीड़ितों और अभियुक्तों के परिवारों का.एसआईटी ने अवतार सिंह के परिवार वालों की हत्या के मामले में 70 वर्षीया कैलाश पाल को गिरफ़्तार किया है.

65 साल के अवतार सिंह 1984 में 27 साल थे, जब एक नवंबर को सबेरे आठ बजे दंगाइयों ने उनके मकान को घेर लिया.

वो ख़ौफ़नाक मंज़र उन्हें आज भी याद है. अवतार सिंह बताते हैं, "हम लोगों ने सब गेट बंद कर लिए, अपनी पूरी खिड़कियां बंद कर लीं. लेकिन जब कमरों में आग लग गई उसके बाद एक-एक करके सब खिड़की तोड़ कर निकलते चले गए. और जैसे-जैसे निकलते गए वैसे-वैसे उनको मारते चले गए."_127429045_087f0bfd-8d18-4b88-b399-54b2e1c1a9ce.jpg.webp