महाभारत को भारत का इतिहास बताने वाले भक्तगण यह भुला देना चाहते

in #wortheum2 years ago

महाभारत को भारत का इतिहास बताने वाले भक्तगण यह भुला देना चाहते हैं कि मरने से पहले दुर्योधन ने युधिष्ठिर से क्या कहा था।

गदायुद्ध में भीम द्वारा नियमविरुद्ध जंघा तोड़ देने से मर्मांतक वेदना झेल रहे दुर्योधन ने पास खड़े युधिष्ठिर को हड़काते हुए कहा, "युधिष्ठिर, मैंने अपने जीते-जी तुम्हें राज सिंहासन छूने तक नहीं दिया और एक से बढ़कर एक पराक्रमी, बुद्धिमान, यश व कीर्तिवानों पर मैंने अपनी इच्छानुसार शासन किया। वे सब न केवल इस युद्ध में मारे गये हैं, बल्कि राज्य की श्री-समृद्धि भी युद्ध की अग्नि में भस्म हो गई है। अब मेरे मरने के बाद तुम अपंगों, विधवाओं, बच्चों, बूढ़ों और निर्बलों के कंगाल राजा बनोगे‌।"

आजीवन मामा शकुनि के झूठ-कपट और छल-प्रपंच से निर्मित मायाजाल में ही फंसे रहने वाले दुर्योधन ने मृत्यु के समय सत्य कहा था क्योंकि वस्तुस्थिति वैसी ही थी।

मनमोहन सिंह के समय तक देश में लोकतंत्र जीवित था तो सभी को अपने मन की बात कहने की आजादी थी। प्रधानमंत्री से लोग विभिन्न अवसरों और मंचों पर बेधड़क होकर सवाल पूछते थे। सरकार की आलोचना सामान्य बात थी तो व्यवस्था भी चौंकन्नी और ठीकठाक चल ही रही थी। विदेशी कंपनियां खूब पूंजी निवेश करती जा रही थीं। देश में शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग व व्यापार, रोजगार आदि सभी क्षेत्रों में देश दुनिया से मुकाबला करते हुए आगे बढ़ रहा था।

फिर आया—2014; बस जैसे इस सब पर घनघोर ग्रहण लग गया। सबसे पहले आलोचकों, असहमतों, मीडिया और बुद्धिजीवियों की आवाज बंद कर दी गई। पत्रकारों तथा जनसरोकारों को लेकर संघर्षरत लोगों को जेलों में ठूंसने, उनकी हत्या करने या उन्हें गायब करने का सिलसिला शुरू कर दिया गया। सत्ताधारियों ने हिंदू-मुसलमान का जहरीला वातावरण बनाये रखने के एकसूत्री कार्यक्रम में अपनी पूरी ताकत झौंक दी।

देश को शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, व्यापार, रोजगार, संसाधन विकास, विदेशी निवेश आदि सभी क्षेत्रों में चौपट कर दिया गया।

नतीजतन खुद को प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक शहंशाह समझने वाला बांकेलाल आज चाटुकारों और बुद्धिहीन जैविक रोबोट्स से घिरा हुआ एक कंगाल शासक बनकर रह गया है। जो अपने दोस्तों की तिजौरियां तथा सरकारी खजाना भरने के लिए कसाई की तरह जनता का खून तक निचोड़ ले रहा है। ■