खोजा गयापृथ्वी से चार गुना बड़ा ग्रह, इंसान अगर पहुंच गए तो हर 11वें दिन कहेंगे 'हैप्पी न्यू ईयर'

in #wortheum2 years ago

टोक्यो: क्या पृथ्वी के अलावा इस संसार में कहीं और भी जीवन है? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब आज तक वैज्ञानिक नहीं दे सके हैं। उनके पास बस इससे जुड़ी थ्योरी ही हैं। पृथ्वी के अलावा जीवन है या नहीं इसका जवाब नहीं मिला है, लेकिन अब पृथ्वी जैसे एक ग्रह पर इसके सुराग की तलाश होगी। सौर मंडल के बाहर पृथ्वी जैसे ग्रहों की तलाश की जा रही है, जों इंसानों का एक और घर बन सके। इस खोज में अब एक बड़ी कामयाबी मिली है। जापान के सुबारू टेलीस्कोप जिसे 2007 में शुरू किया गया था, उसने संभवतः पृथ्वी जैसा एक 'सुपर अर्थ' खोज निकाला है।

ये ग्रह पृथ्वी से 37 प्रकाश वर्ष दूर है। ग्रह एक लाल बौने सितारे के पास है। ये एक ठोस ग्रह है, जिसका नाम रॉस 508b (Ross 508b) है। ये पृथ्वी से चार गुना ज्यादा बड़ा है, जिस कारण वैज्ञानिक इसे सुपर अर्थ बता रहे हैं। लेकिन सबसे अजीब बात ये है कि अगर हम किसी तरह रॉस 508b पर पहुंच जाएं तो हर 11वें दिन नया साल मनाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि ये ग्रह जिस बौने सितारे के चारों ओर घूम रहा है, उसकी कक्षा बहुत छोटी है। पृथ्वी के 11 दिन में ये ग्रह उसका चक्कर लगा लेता है।

अपने तारे से सिर्फ 50 लाख किमी दूर

इनके छोटे आकार होने का मतलब है कि उनका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र भी हमारे सूर्य की तरह विस्तृत नहीं है। रॉस 508b अपने सितारे से सिर्फ 50 लाख किमी की दूरी पर घूम रहा है। समझने के लिए अगर तुलना करें तो हमारे सौर मंडल में सूर्य के सबसे करीब का ग्रह बुध 60 मिलियन किमी दूर है। अपने सितारे के करीब होने के कारण ये सवाल भी उठता है कि भला ये ग्रह रहने लायक कैसे माना जा सकता है? इसका जवाब है कि रॉस 508b अंडाकार तरीके से घूमता है। यानी ये हमेशा अपने तारे के करीब नहीं होता। इसकी दूरी बदलती रहती है।

अन्य तारों से ठंडे होते हैं बौने तारे

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह का ग्रह अपनी सतह पर पानी को बनाए रखने में सक्षम हो सकता है। पानी या जीवन इस ग्रह पर होगा या नहीं ये अभी गंभीर शोध का विषय है। हमारी मिल्की वे आकाशगंगा में तीन-चौथाई तारे सूर्य से छोटे लाल बौने हैं। सौरमंडल के पड़ोस में ये अच्छी खासी संख्या में हैं। अपने इन लक्षणों के कारण ये जीवन की खोज के लिए शुरुआती टार्गेट हैं। हालांकि लाल बौने सितारे अन्य तारों की तुलना में ठंडे होते हैं और कम दिखाई देने वाले प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं, जिससे उसका अध्ययन चुनौतीपूर्ण होता है।