प्रतीक्षा को प्रतिज्ञा में बदलने का अवसर और आत्म शुद्धि का पावन पर्व है पर्युषण धर्म-कर्म
जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में बुधवार को 8 दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण की आराधना प्रारंभ हुई। वरिष्ठ स्वाध्यायी अमृत कंवर भंडारी, शशिप्रभा भंडारी व प्रेमलता ललवानी के सानिध्य में 31 अगस्त तक महापर्व की आराधना की जाएगी। सुबह 9 से 10:30 बजे तक पौषधशाला में अंतगड सूत्र वांचन व प्रवचन हुआ। पर्युषण पर्व के प्रथम दिन धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वाध्यायी अमृत कंवर भंडारी ने कहा कि पर्व वही कहलाता है, जो आत्मा को पवित्र करें। पर्युषण आत्म-शोधन एवं आत्म-शुद्धि का पावन पर्व है। पर्युषण जैसे आध्यात्मिक, धार्मिक, आत्मिक पर्वों को तप-त्याग पूर्वक मनाने से जीवन में एक नए परिवर्तन की ओर कदम बढ़ जाते हैं। पर्युषण धर्म जागरण का एक ऐसा पर्व है, जिसमें श्रावक-श्राविकाएं सांसारिक प्रवृत्तियों से निवृत्त होकर धर्म आराधना व जप तप में आत्म जागरण हेतु पुरुषार्थरत रहते हैं। स्वाध्यायी प्रेमलता ललवानी ने कहा कि पर्युषण पर्व के आने पर सर्वत्र आनंद की लहर छा जाती है। यह पर्व प्रतीक्षा को प्रतिज्ञा में बदलने का अवसर है। इन आठ दिनों में अंतगड सूत्र की वांचनी की जाती है। सभी जैन आगमों में अंतगड सूत्र ही ऐसा है जो पूरे आठ दिनों के अंदर पूर्ण किया जा सकता है। अन्य सूत्र कुछ बड़े हैं, कुछ छोटे हैं। इस सूत्र में वर्णित सभी 90 चरित्र आत्माएँ मोक्षगामी बनी। संचालन संजय पींचा ने किया।
दोपहर में कल्प सूत्र का वाचन
प्रवचन की प्रभावना और लक्की ड्रा के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी किशोरचंद, पवन, अरिहंत पारख परिवार रहें। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद, प्रमोद ललवानी परिवार ने लिया। प्रिया नाहटा ने तेले तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। इस मौके पर प्रकाशचंद बोहरा, किशोरचंद ललवानी, हरकचंद ललवानी, धनराज सुराणा, कमलचंद ललवानी सहित सैंकड़ो श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें। पूनमचंद बैद ने बताया कि दोपहर 2 से 3 बजे तक पौषधशाला में कल्प सूत्र का वांचन किया गया। सूर्यास्त पश्चात पुरुष वर्ग का प्रतिक्रमण पौषधशाला में व महिला वर्ग का प्रतिक्रमण रावत स्मृति भवन में हुआ।
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