धर्म आंतरिक व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति से बाहर करने की उठी मांग, निकली डीलिस्टिंग महारैली

in #wortheum2 years ago

अंबिकापुर : धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति सूची से बाहर किए जाने की मांग को लेकर आज अंबिकापुर के पीजी कॉलेज ग्राउंड में जनजाति सुरक्षा मंच ने डीलिस्टिंग महारैली एवं सम्मेलन का आयोजन किया।
पूर्व कैबिनेट मंत्री गणेश राम भगत पूर्व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष नंदकुमार साय, राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय , पूरे कैबिनेट मंत्री रामसेवक पैकरा, सांसद कमलभान सिंह सहित जनजाति समाज के प्रमुख नेताओं की उपस्थिति में आयोजित डीलिस्टिंग महारैली एवम सम्मेलन में बड़ी संख्या में संभाग के सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया, जशपुर तथा बलरामपुर जिले से हजारों की संख्या में उत्साहित आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए।
पी जी कॉलेज ग्राउंड से निकली डीलिस्टिंग रैली गांधी चौक, घड़ी चौक , संगम चौक, महामाया चौक , गुदरी चौक, जोड़ा पीपल होते हुए वापस पी जी कॉलेज ग्राउंड पहुंची।
शहर में लंबे समय बाद जनजाति समाज की एकता को प्रदर्शित करती विशाल एवम भव्य रैली देखने को मिली। आदिवासी समाज के रैली में अपने पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ नृत्य करते हुए शामिल हुए।

रैली के पश्चात पीजी कॉलेज मैदान में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री गणेश राम भगत ने कहा कि डीलिस्टिंग किए बिना हम चैन से नहीं बैठेंगे जनजाति समाज हिंदू है और हिंदू ही रहेगा, धर्मांतरित लोगों को सरकारी सुविधाएं मिलना बंद हो तथा भोले भाले आदिवासियों को धर्मांतरण से बचाया जाए। आगे उन्होंने कहा कि मैं ईसाई धर्म का विरोधी नहीं हूं लेकिन जनसंख्या बढ़ाने की नियत से जो मिशनरी षडयंत्र पूर्वक काम कर रहे हैं उसका घोर विरोधी हूं। ईसाई मिशनरी कई प्रकार के भ्रम जाल फैला रहे हैं, जनगणना के दौरान मिशनरी द्वारा आदिवासी समाज को भ्रमित कर धर्म के कॉलम में हिंदू धर्म के बजाए सरना व सरहुल धर्म लिखने के लिए कहा गया ताकि हिंदू समाज उन्हें अलग किया जा सके।
इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष नंद कुमार साय ने कहा कि धर्मांतरित होने वाले आदिवासी समाज के लोग बड़े-बड़े महल तो बना रहे हैं परंतु अपनी आदिवासी परंपरा व रीति रिवाज को भूल चुके हैं, प्रदेश और केंद्र दोनों सरकारो से हम मांग करते हैं कि ऐसे जनजाति समाज जो अपनी संस्कृति को छोड़ चुके हैं उन्हें तत्काल आरक्षण का लाभ मिलना बंद होना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि वास्तव में गरीब आदिवासी समाज जैसे कोरवा, पंडो, बैगा आदि जो राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाते हैं को आरक्षण का कोई भी लाभ नहीं मिला। सरकार का ट्राइबल डिपार्टमेंट भी उन्हें उनका अधिकार दिलाने में सफल नहीं हो पाई।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा कि तीर, धनुष, फरसा, टांगी सब पजा-चोखा के रखो और अपने देवी देवताओं की पूजा करो। अब हमारे आदिवासी भाइयों को धर्मांतरित करने वालों की खैर नहीं। आगे उन्होंने कहा कि आज वन विभाग स्वास्थ्य विभाग शिक्षा विभाग या सरकारी किसी भी विभाग का लिस्ट उठा कर देखिए तो धर्मांतरित लोगों का ही नाम मिलता है, आदिवासियों के नाम पर आरक्षण का असली लाभ यही धर्मांतरित लोग ही उठा रहे हैं, उन्होंने कहा कि अब हम धर्मांतरण करने वालों का गांव से वहिष्कार करेंगे तथा गांव व पंचायत में धर्मांतरण का विरोध करेंगे।
अपने स्वागत उद्बोधन में जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत सह संयोजक इंदर भगत ने कहा कि पिछले 72 सालों से जनजाति समाज के साथ जनजाति समाज के साथ अन्याय हो रहा है, इस समाज को मिलने वाला आरक्षण का लाभ कोई और उठा रहा है, अनुच्छेद 342 में संशोधन करने वाला कानून लाना है ताकि ईसाई और मुसलमान बनकर आदिवासियों के आरक्षण का लाभ ले रहे लोगों को डीलिस्टिंग किया जा सके।
कार्यक्रम का संचालन जनजाति सुरक्षा मंच प्रांत संयोजक रोशन प्रताप सिंह तथा आभार प्रदर्शन जिला संयोजक जाति सुरक्षा मंच बिहारीलाल तिर्की ने किया।

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