रतन टाटा ने एक नया स्टार्टअप की शुरुआत की है,सीनियर सिटीजन को युवा के साथ जोड़ने की।
बुजुर्गो के लिए एक अच्छे समाचार ये है कि,भारत की सब से बड़ी कंपनी कि जिसका लक्ष्य हमेशा ही केवल बिजनस नहीं बल्कि बिज़नस के साथ चैरीटी करना भी है ऐसे टाटा समूह के रतन टाटा ने हाल ही में ऐसे ही एक स्टार्ट अप लॉन्च किया है। सीनियर सिटीजन को युवा ग्रेजुएट्स के साथ जोड़ने, उनके बीच दोस्ती बढ़ाने और बुजुर्गों की मदद करने के लिए हाल ही गुडफेलोज (Goodfellows) नाम के स्टार्टअप की शुरुआत की गई है। इसे टाटा के कार्यालय में महाप्रबंधक 25 वर्षीय शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) ने शुरू किया है। स्टार्टअप में रतन टाटा ने इन्वेस्टमेंट भी किया हुआ है।
गुडफेलोज युवा, शिक्षित स्नातकों के माध्यम से वरिष्ठों को प्रामाणिक सार्थक सहयोग प्रदान करता है। वरिष्ठ नागरिक thegoodfellows.in पर साइन-अप करके गुडफेलोज की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं या स्टार्टअप का इंस्टाग्राम हैंडल देख सकते हैं। नायडू ने टाटा को एक बॉस, एक संरक्षक और एक मित्र के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में डेढ़ करोड़ बुजुर्ग है। जो अकेले हैं जो कि गुडफेलोज के लिए अवसर के समान है। इन बुजुर्गों के साथी के रूप में गुडफेलोज में ऐसे युवा ग्रेजुएट्स को काम पर रखा जाता है जिनके पास संवेदना की उचित क्षमता और भावनात्मक बुद्धिमता हो। नायडू का कहना है कि सही साथी के चयन के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद ली जएगी।
इनका काम बुजुर्गों के साथ रहना है, उनसे बातचीत करना है। इन्हें बुजुर्गों की जरूरतों के मुताबिक काम करना होगा जैसे कि उनके साथ कैरम खेलना, उनके लिए अखबार पढ़ना या उनके साथ झपकी लेना । एक साथी किसी बुजुर्ग क्लाइंट को एक हफ्ते में तीन बार विजिट करेगा और एक विजिट में उनके साथ चार घंटे बिताएगा। फीस की बात करें तो एक महीने की फ्री सर्विस के बाद बेस सब्क्रिप्शन के तौर पर एक महीने के लिए पांच हजार रुपये वसूलेगी।
आखिर में यहां कहने का मतलब ये ही है कि,भारतमे भी अब पश्चिम कि तर्ज पर ऐसे ढेरो स्टार्ट-अप आ रहे है। जिसकी आंखो में बिज़नस के तक की एक रौशनी के साथ संवेदना बाँटने का करतब इनके दिलमे है। ये ऐसा पेशा होगा कि, जहां इस नौकरी के लिए आपकी एबिलिटी आपका मधुर और सेवाभावी स्वभाव रहेगा।