भागवत कथा में जब समुद्र मंथन में निकला अमृत..
मल्लावां । क्षेत्र के ग्राम बापूनगर में चल रही भागवत कथा में कथा वाचक विनोद कुमार तिवारी ने समुद्र मंथन की कथा का वर्णन किया कथा सुनकर भक्त भावविभोर हो गए।
समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि एक बार दैत्यों से पराजित होकर भगवान विष्णु की स्तुति की। उनकी स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवताओं से उनके कष्ट का कारण पूंछा जिसपर देवताओं ने बताया कि दैत्यों से परास्त हो गए है। भगवान विष्णु ने कहा दैत्यों के साथ सम्पूर्ण औषधियां लाकर क्षीरसागर में डालो और मंदराचल पर्वत को मथनी और नागराज वासुकि को नेती बनाकर उसे दैत्य और दानवों सहित मेरी सहायता से मथकर अमृत निकालो। तुमलोग साम-नीति का अवलम्बन लेकर दैत्यों से कहो कि ‘ इस काम में सहायता करने से आपलोग भी इसके फल में समान भाग पाएंगे। ‘समुद्र मंथन से जो अमृत निकलेगा उसका पान करने से तुम सब अमर हो जाओगे।मैं ऐसी युक्ति करूँगा जिससे तुम्हारे द्वेषी दैत्यों को अमृत नहीं मिल पाएगा और उनके हिस्से में केवल समुद्र मंथन का क्लेश ही आएगा। मंथन के दौरान महातेजस्वी वासुकि के मुख से निकलते हुए श्वासाग्नि से झुलसकर सभी दैत्यगण निस्तेज हो गए। उसी श्वास वायु से विक्षिप्त हुए मेघों के वासुकि के पूँछ की ओर बरसते रहने से देवताओं की शक्ति बढ़ती गई। इस मौके पर विशुननरायण, शांति देवी, नीरज कुमार, संतोष कुमार अरुण कुमार समेत तमाम भक्त मौजूद रहे।