उल्लासपूर्ण मनाया गया नागपंचमी और गुड़िया का त्योहार

in #wortheum2 years ago

Lalutrivedi महोली सीतापुर नागपंचमी का त्यौहार यूं तो हर वर्ष देश के विभिन्न भागों में मनाया जाता है लेकिन उत्तरप्रदेश में इसे मनाने का ढंग कुछ अनूठा है, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इस त्यौहार पर राज्य में गुडि़या को पीटने की अनोखी परम्परा है ,
नागपंचमी को महिलाएं घर के पुराने कपडों से गुड़िया बनाकर चौराहे पर डालती हैं और बच्चे उन्हें कोड़ो और डंडों से पीटकर खुश होते हैं, इस परम्परा की शुरूआत के बारे में एक कथा प्रचलित है,
तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी, समय बीतने पर तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में ब्याही गई, उस कन्या ने ससुराल में एक महिला को यह रहस्य बताकर उससे इस बारे में किसी को भी नहीं बताने के लिए कहा लेकिन उस महिला ने दूसरी महिला को यह बात बता दी और उसने भी उससे यह राज किसी से नहीं बताने के लिए कहा, लेकिन धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई,
तक्षक के तत्कालीन राजा ने इस रहस्य को उजागर करने पर नगर की सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा करके कोड़ों से पिटवा कर मरवा दिया, वह इस बात से क्रुद्ध हो गया था कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती है, तभी से नागपंचमी पर गुड़िया को पीटने की परम्परा है,
इस दिन लोग अपने घरों की दीवारों पर नागों और साँपों की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते हैं, और घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए उनसे प्रार्थना करते हैं, नाग का दर्शन करना इस दिन शुभ माना जाता है, सपेरे नाग लेकर घर-घर जाते हैं और लोगों को उनके दर्शन करवा कर अच्छी खासी आमदनी करते हैं, इसके अलावा इस त्योहार पर जगह- जगह मेले लगते है और दंगल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें पहलवान अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं,
एक अन्य कहानी के अनुसार एक लड़की का भाई भगवान भोलेनाथ का परम भक्त था और वह प्रतिदिन मंदिर जाता था, उस मंदिर में उसे हर रोज 'नाग' देवता के दर्शन होते थे, वह लड़का हर दिन नाग देवता को दूध पिलाने लगा और धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया, नाग देवता को उस लड़के से इतना प्रेम हो गया कि वो उसे देखते ही अपनी मणि छोड़ उसके पैरों में लिपट जाता था,
इसी तरह एक दिन श्रावण के महीने में दोनों भाई-बहन एकसाथ मंदिर गए, मंदिर में जाते ही 'नाग' देवता लड़के को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया और बहन ने जब यह नजारा देखा तो उसके मन में भय उत्पन्न हुआ, उसे लगा कि नाग उसके भाई को काट रहा है, तब लड़की ने भाई की जान बचाने के लिए नाग को पीट-पीटकर मार डाला,
इसके बाद जब भाई ने पूरी कहानी बहन को सुनाई तो वह रोने लगी, फिर वहां उपस्थित लोगों ने कहा कि 'नाग' देवता का रूप होते हैं इसीलिए तुम्हें दंड तो मिलेगा, चूंकि यह पाप अनजाने में हुआ है इसलिए कालांतर में लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा, इस तरह गुड़िया पीटने की परंपरा शुरू हुई,