आखिर पचनद को क्यों मिला महातीर्थराज संगम का दर्जा
बुंदेलखंड के जालौन में पांच नदियों का संगम होता है और इसे 'पचनद' के नाम से जाना जाता है। जालौन और इटावा की सीमा पर पचनद का स्थान प्रकृति का अनूठा उपहार है और हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के लिए यह आस्था का केंद्र है। वैसे तो सालभर में यहां सिर्फ एक बार मेला लगता है, लेकिन खास स्नानों के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। तीन नदियों का संगम होने से यूपी का प्रयागराज संगम कहलाया, ठीक वैसे ही पचनद को महा तीर्थराज के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां पांच नदियों का संगम होता है।दरअसल, जालौन के मुख्यालय उरई से पचनद की दूरी 65 किमी है। यह स्थान रामपुरा ब्लाक में पड़ता है। ये दुनिया का इकलौता स्थान है। जहां पांच नदियों का संगम है। पचनद में यमुना, चम्बल, सिंध, पहुज, क्वांरी नदियां बहती हैं। यह शाम ढलने के साथ यहां का नजारा अद्भुत होता है। रामपुरा ब्लाक से इसकी दूरी मात्र 15 किमी है। इतिहास के पन्नों में पचनद से जुड़ी हुईं कहानियां हैं, जिनका उल्लेख यहां आसपास मौजूद मंदिरों में मिलता है। पचनद पर 3100 करोड़ की लागत से परियोजना भी प्रस्तावित है।
Plz like my news sir
Plz like my post plz plz
Plz like my news
Please support me 🙏