वन्दे हिंदी समागम’ में पहुंचे दिग्गजों ने बताया, कैसे हिंदी बन चुकी है अब अंतरराष्ट्रीय भाषा

in #wortheum2 years ago

राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती पर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन ने ‘वन्दे हिंदी समागम’ कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में पहुंचे दिग्गजों ने हिंदी की महत्ता को लेकर अपने विचार रखे. संबोधन में कहा गया कि 100 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिंदी राष्ट्र ही नहीं अब अंतरराष्ट्रीय भाषा है.
आने वाला समय भारत का है. पूरी दुनिया अब हिंदी की ओर देख रही है. उन्हें हिंदी में अब अवसर दिखने लगे हैं. 100 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिंदी राष्ट्र ही नहीं अब अंतरराष्ट्रीय भाषा है.

इस तरह के विचार पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती पर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के कार्यक्रम ‘वन्दे हिंदी समागम’ में रखे गए. पुरुषोत्तम दास टंडन आजीवन हिंदी को राष्ट्र भाषा का स्थान दिलाने के लिए प्रयासरत रहे.

कार्यक्रम डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय पुरातन छात्र परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया. तीन सत्रों में वक्ताओं ने अपनी बात रखी. कवि प्रो. सोम ठाकुर ने अध्यक्षीय संबोधन में हिंदी प्रेम से ओतप्रोत कविता सुनाते हुए राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन से जुड़ी स्मृतियां साझा कीं.

समागम की विशिष्ट अतिथि भारतीय वायुसेना महिला कल्याण एसोसिएशन पूर्व अध्यक्षा आशा भदौरिया ने आयोजन को हिंदी भाषा के उत्थान में सराहनीय पहल बताया. उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रति मेरा प्रेम ही है कि इस समागम में मैं आज आपके बीच हूं.
सभी भाषा को करना है आत्मसात

वरिष्ठ पत्रकार अनुरंजन झा ने कहा,'हिन्दी की भाषा ऐसी हो, जो सहज हो सके. हिंदी की समस्या खत्म हो जाएगी. हिन्दी भारत की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हो चुकी है. आपको किसी भाषा को किनारा नहीं करना है, उसे आत्मसात करना है'.

गुड मॉर्निंग की जगह सुप्रभात बोलना होगा

वरिष्ठ पत्रकार शैलेश रंजन ने कहा,'बच्चों में ये भरोसा हो कि उन्हें हिंदी पढ़ते हुए भी अच्छी नौकरी मिल सकती है. हमें हिंदी को उस स्तर तक ले जानी होगी. इसकी शुरुआत हमें घर से ही करनी होगी. अपने बच्चों को गुड मॉर्निंग की जगह सुप्रभात बोलना सिखाना होगा'.

..मुझे लगा मेरी तपस्या हो गई सफल

इंडिया टीवी के सीनियर एडिटर दिनेश कांडपाल ने कहा,'सेना पर एक कार्यक्रम तैयार करने के दौरान जब हिंदी में कोई जानकारी नहीं मिली, तो मैं बहुत आहत हुआ और सेना पर हिंदी में पराक्रम नाम से एक किताब लिख दी. तब सैन्य अधिकारियों ने प्रोत्साहित किया तो लगा कि मेरी तपस्या सफल हो गई'.

अब पहचान हिंदियत की है, इंग्लिशियत की नहीं
न्यूज 18 इंडिया के एसोसिएट एडिटर यतेंद्र शर्मा ने कहा,'आज हिंदी का बोलबाला है, जब हिंदी का कोई संपादक फील्ड में जाता है तो उसके साथ सेल्फी लेनी की होड़ मच जाती है, जबकि इंग्लिश के एडिटर्स के पास कोई नहीं जाता. पहचान अब हिंदियत की है, इंग्लिशियत की नहीं'.

हिंदी भाषा नहीं, हमारा स्वाभिमान है

वरिष्ठ पत्रकार गरिमा सिंह ने कहा,'हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं यह हमारा स्वाभिमान भी है. जब हम अपनी भाषा में बात करते हैं तो उसकी आवाज दूर तक जाती है. पहली संस्कारशाला आपका घर होता है और इसकी शिक्षिका मां होती हैं. उन्हें भी यह जिम्मेदारी उठानी होगी'.

हिन्दी करती है राष्ट्र प्रेम का संचार

आयोजन समिति के चेयरमैन स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने कहा,'हिंदी ऐसी भाषा है, जो हमारे अंदर राष्ट्र प्रेम की भावना का संचार करती हैं. वसुधैव कुटुंबकम की भावना हिंदी भाषा का मूल तत्व है. हमें न सिर्फ हिंदी बोलनी चाहिए बल्कि गर्व के साथ बोलनी चाहिए।