लंदन में पढ़ाई पूरी कर पूर्वी ने बिना मिट्टी के सब्जियां उगाई

in #wortheum2 years ago

Screenshot_20220327-175359_Jagran.jpgइटावा। आज कई पढ़े-लिखे युवा खेती को व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं और लाखों की कमाई कर रहे हैं। इन्हीं में एक पूर्वी भी हैं, जिन्होंने पढ़ाई तो लंदन में की लेकिन गांव आकर सब्जी की खेती करने में जुटी हैं। बिना मिट्टी के खास सब्जियों की पैदावार कर रहीं हैं, जिनकी मांग स्टार ग्रेड होटलों में ऊंचे दाम पर रहती है। दरअसल, होटलों में ये सब्जियां विदेश से आने वाले पर्यटकों और परदेस में रहने वाले भारतीयों की खास पसंद होती हैं। इन सब्जियों की खास बात यह भी है कि ये स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इनकी पैदावार करने के लिए हाइड्रोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके खेती की जाती है। इटावा ने पूर्वी ने इस तकनीक के इस्तेमाल से खेती शुरू करके नवाचार को आगे बढ़ाया है, जो काफी सराहनीय है।

क्या होती है हाइड्रोपोनिक खेती : आसान भाषा में कहें तो हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। पौधे के लिए सभी आवश्यक खनिज और उर्वरक पानी के माध्यम से दी जाती है। फसल उत्पादन के लिए सिर्फ तीन चीजें पानी, पोषक तत्व और प्रकाश की जरूरत होती है। मिट्टी के बगैर जलवायु को नियंत्रित करके की जाने वाली खेती को ही हाइड्रोपोनिक खेती कहते हैं।

कई रोगों से बचाव में भी उपयोगी : आहार विशेषज्ञ डा. अर्चना बताती हैं कि हाइड्रोपोनिक खेती से उत्पादित सब्जियां विटामिन और खनिज तत्व से परिपूर्ण होती हैं। इनका सेवन सलाद, जूस, सैंडविच, बर्गर, विभिन्न खाद्य व्यंजन में किया जा सकता है। इसके पौधे पूर्णत: ऑर्गेनिक होते हैं इसलिए उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ओबेसिटी, हृदय रोगी जैसे अन्य रोगियों के लिए भी इन सब्जियों का सेवन करना स्वास्थ्यवर्धक होता है। प्रतिष्ठित होटल रेस्टोरेंट में कान्टिनेंटल, चाइनीज फूड, पास्ता, पिज्जा और भारतीय खाद्य पदार्थों में इन सब्जियों का प्रयोग गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए हो रहा है।

पूर्व कैसे कर रहीं खेती : इटावा शहर से आठ किमी दूर बसे फूफई ग्राम में पूर्वी ने आटोमेटेड फार्म बैंक टू रूट्स तैयार की और बिना मिट्टी के सब्जी की खेती शुरू की। पूर्वी बताती हैं कि इस तकनीक से सामान्य तकनीक की अपेक्षा सिर्फ 10 प्रतिशत पानी की जरूरत पड़ती है, साथ ही मिट्टी की जरूरत नहीं होती। फसल को बस सूर्य का प्रकाश फसल को मिलते रहना चाहिए। जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती वहां कस्टमाइज्ड तरीके से रोशनी की व्यवस्था की जाती है। इसके माध्यम से ओक लेट्यूस, ब्रोकली, पाक चाय, चैरीटोमेटो, बेल पेपर और बेसिल की खेती कर रहीं हैं। इन सब्जियों की सबसे ज्यादा मांग होटलों में और पर्यटक इन्हें पसंद करते हैं।

मन में कैसे आया विचार : लंदन में रहकर एमबीए की पढ़ाई करने के बाद हाइड्रोपोनिक खेती का विचार मन में कैसे आया, इस सवाल पर पूर्वी कहती हैं कि कोरोना काल में बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषक तत्वों का महत्व समझा और हाइड्रोपोनिक खेती के बारे में काम करने का मन बना लिया था। कहा, सरस्वती मिश्रा मेरी प्रेरणा रहीं हैं और उन्होंने सिखाया जीवन में अगर कुछ बेहतर करना है तो सामुदायिक रूप से भागीदारी जरूर निभाना चाहिए। मेरा उद्देश्य महिला किसान के रूप में जनपद वासियों को स्वास्थ्यवर्धक फल और सब्जियां सस्ते दामों पर घर बैठे उपलब्ध करना है। बेहतर उत्पादन से सब्जी की बिक्री करके अच्छी कमाई की जा सकती है।

विशेषज्ञों की राय : जनपद के जनता कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डा. राजेश त्रिपाठी ने बताया की हाइड्रोपोनिक तकनीकी से उच्च गुणवत्ता की सब्जियों का उत्पादन किया जाता है जो स्वास्थ्यवर्धक होती है और इनका सेवन लाभकर है। उन्होंने बताया कि समय-समय पर हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के लिए जनता महाविद्यालय के उद्यान विभाग से पूर्वी को सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है। उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एके पांडे ने बताया की यह खेती पूर्णत: जल पर निर्भर होती है। इसमें मिट्टी का प्रयोग नहीं होता इसीलिए इस तरह की खेती में किसी भी कीटनाशक का प्रयोग नहीं होता यह पौधे पूर्णता स्वस्थ और ऑर्गेनिक होते हैं ऐसे पौधों पर जो सब्जी और फल लगते हैं और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।