ऑस्ट्रेलिया बढ़ा रहा चीन की मुश्किलें, वहां जाते ही इस तरह बदल जा रहीं चाइनीज लड़कियां

in #wortheum2 years ago

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चीन में अभिव्यक्ति की कितनी आजादी है यह दुनिया से छिपी नहीं है. यहां लोगों को सरकार और सिस्टम के खिलाफ बोलने की अनुमति नहीं है. फिर चाहे वह आम आदमी हो या मीडिया ही क्यों न हो. यहां के लोग बंदिशों में जीने के आदी हो गए हैं. वह अपने काम से काम रखते हैं और कम बोलते हैं, लेकिन इन्हीं में से कोई अगर विदेश चला जाए तो उनकी पर्सनैलिटी बदल जाती है. ऐसा ही कुछ बदलाव ली फेंग के साथ हुआ. ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में विश्वविद्यालय से अध्ययन करने के बाद चीन लौटीं ली फेंग के साथ इतना कुछ बदलाव होगा, इसके बारे में न तो उन्होंने सोचा था और न ही उन्हें अहसास हुआ. जब घरवालों और दोस्तों ने उन्हें बताया तो पता चला.
ली फेंग कहती हैं, जब मैंने अपने घरवालों से अपने आए बदलावों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि, ‘कभी-कभी आपकी राय और आपकी बोलने की शैली बहुत सीधी होती है, जो पहले नहीं थी और चीन में किसी में नहीं दिखती.’ ली फेंग कहती हैं कि मुझे भी ये सही लगा क्योंकि मुझे आजादी पसंद है और यह सबकुछ मुझे ऑस्ट्रेलिया में मिला. जब मैं वहां से आई तो वही चीजें यहां भी चलती रहीं. वह कहती हैं कि, चीन में हर कोई शांत है और किसी को कुछ भी (ऊपर) नहीं बोलना है. हर कोई बस अनुसरण करता है. वहीं ऑस्ट्रेलिया में पूरी आजादी मिलती है. ऐसे में जब आप उन आदतों के साथ चीन वापस आते हैं तो यहां लोग सोचते हैं कि आप अजीब हैं.

चीन में रूढिवादी सवालों के जाल से परेशान

इस तरह के बदलाव को झेलने वाली ली अकेले नहीं हैं. कई चीनी अंतर्राष्ट्रीय छात्र, विशेष रूप से महिलाएं- ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के बाद खुद को बदला हुआ पाती हैं. मेलबर्न यूनिवर्सिटी में असोसिएट प्रोफेसर फ्रैन मार्टिन ने हाल ही में पांच साल का अध्ययन पूरा किया, जहां उन्होंने 56 चीनी महिलाओं के एक समूह को लगातार फॉलो किया. इन 56 चीनी महिलाओं ने ऑस्ट्रेलिया में विश्वविद्यालय में अध्ययन किया. यहां की आजादी के बाद जब ये महिलाएं चीन गईं तो इन्हें कई तरह की दिक्कतें हुईं. चीन में एक बार फिर उन्हें रूढ़ीवादी सवालों के जाल में फंसना पड़ा.