हमारे चेहरे पर पल रहे हैं कीड़े, घर बना रहे हैं घुनः स्टडी

in #wortheum2 years ago

कतई न सोचिए कि आपका चेहरा खूबसूरत है. क्योंकि आपके चेहरे पर कीड़े पल रहे हैं. त्वचा पर घुन पनप रहे हैं. ये वहीं पैदा होते हैं. सेक्स करते हैं. अपनी संख्या बढ़ाते हैं. एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है.आपके चेहरे पर लगातार घुन पल रहे होते हैं. वो आपकी त्वचा पर सेक्स करते हैं. अपनी आबादी बढ़ाते हैं. अपना सिर त्वचा के अंदर धंसा कर रखते हैं. बाल की तरह पूंछ और बाकी हिस्से को बाहर निकाल कर रखते हैं. ये धरती पर मौजूद अधिकतर इंसानों की कहानी है. इंसान इकलौते ऐसे जीव हैं, जिनके चेहरे पर डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम (Demodex folliculorum) नाम के घुन यानी माइट्स (Mites) रहते हैं. ये हमारे चेहरे की त्वचा पर ही पैदा होते हैं. हमारी त्वचा को खाते हैं. वहीं प्रजनन करते हैं. वहीं मर जाते हैं.

डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम नाम के घुन की पूरी जिंदगी आपकी त्वचा की मृत कोशिकाओं (Dead Skin Cells) को खाने में चली जाती है. ये इंसानों पर इतना ज्यादा निर्भर हैं कि किसी और जीव की तरफ जाते ही नहीं है. नई स्टडी में पता चला है कि ये हमेशा से इंसानों के चेहरे पर नहीं थे. पहले ये बाहरी पैरासाइट (Ectoparasite) थे. जो बाद में अंदरूनी हिस्से में समा गए और अब इंसानों के साथ पारस्परिक संबंध निभा रहे हैं.

त्वचा के रोम छिद्रों में इस तरह से घुसा रहता है डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम नाम का घुन. (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग्स)
करोड़ों सालों से हमारे चेहरे पर जिंदा हैं ये पैरासाइट

समय के साथ डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम (Demodex folliculorum) घुन इंसानी शरीर के साथ घुलते मिलते जा रहे हैं. विकसित हो रहे हैं. अब ये स्थाई तौर पर हमारे शरीर में ही रह रहे हैं. वैज्ञानिकों ने अब इस घुन के जीनोम की सिक्वेंसिंग की है. ताकि ये पता कर सकें कि ये इंसानों के चेहरे की त्वचा से इतना प्यार क्यों करते हैं. वहीं क्यों रहते हैं.

इंसानों के विकास के साथ इनका भी विकास हुआ है

इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग्स की इनवर्टिब्रेट बायोलॉजिस्ट अलेजांड्रा परोट्टी ने कहा कि हमने इन घुनों (Mites) को इनके जीन्स में काफी बदलाव है. यहां तक की शारीरिक सरंचना में भी, क्योंकि ये त्वचा की रोम छिद्रों में रहते हैं. इन छिद्रों में रहने की वजह से इनके डीएनए में काफी ज्यादा बदलाव आ चुका है. इनके शरीर और व्यवहार में भी बदलाव है.

डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम माइक्रोस्कोप के नीचे इस तरह से दिखता है. (फोटोः जोएल मिल्स/ट्विटर​​)
चेहरे पर पैदा, सेक्स और फिर मर जाना, यही काम है

डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम (Demodex folliculorum) का इकलौता भोजन इंसान के चेहरे की त्वचा है. इसका जीवन सिर्फ दो हफ्ते का होता है. ये समय यह इंसानी चेहरे पर ही बिताता है. ये हमेशा रात में ही रोम छिद्रों से बाहर निकलते हैं. त्वचा के चारों तरफ टहलते हैं. साथी खोजते हैं, उनके साथ सेक्स करते हैं. इसके बाद चुपचाप अपने रोमछिद्र में सुरक्षित हो जाते हैं.

अब हो रही स्टडी- इनसे क्या होता है इंसानों के फायदा

इन घुनों की लंबाई एक मिलिमीटर का एक तिहाई होता है. इनके ढेर सारे छोटे-छोटे पैर होते हैं. एक मुंह होता है. इसके अलावा लंबी पूंछ जैसा शरीर होता है. ताकि ये रोमछिद्र में आसानी से घुस सकें. इसके बाद मृत कोशिकाएं खाते हैं. हैरानी की बात ये है कि इनका शिकार कोई नहीं करता. ये इंसान के चेहरे पर सुकून से अपना दो हफ्ते का जीवन बिताते हैं. फिर मर जाते हैं. अब वैज्ञानिक यह पता कर रहे हैं कि इनसे इंसानों को कोई फायदा होता भी है या नहीं. यह स्टडी हाल ही में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुई है.

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Good job