उस पर्वत के बारे में जहां श्रीकृष्ण ने रचाया था सखियों संग ब्याह, आज भी यहां वो दिव्य चिन्ह

in #wortheum2 years ago

Radha Ashtami 2022 अब की बार बरसाना आएं तो करें इस अनोखे पर्वत का जरूर दर्शन। राधाकृष्ण के लीलाओं का साक्षी है सखिगिरी पर्वत। सखिगिरी पर्वत पर कृष्ण ने रचाया था सखियों से विवाह। दिव्य चिन्हों का शुमार है सखिगिरी पर्वत पर।
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आगरा : यशोदा नन्दन कि बाल लीलाओं का साक्षी वैसे तो पूरा ब्रजमंडल, लेकिन बरसाना की गोपियों के साथ कान्हा की अद्भुत लीलाओं का साक्षी सिर्फ बरसाना के प्राचीन लीला स्थली है। ऐसी एक लीला श्रीकृष्ण ने द्वापरयुग में बरसाना के ऊंचागांव के सखिगिरी पर्वत पर ललिता सखी सहित अष्टसाखियों से विवाह रचाकर की थी। आज भी यह लीला बूढ़ी लीला महोत्सव के दौरान जीवंत हो उठती है।

सखिगिरी पर्वत पर कई कृष्ण कालीन चिन्ह आज भी मौजूद हैं। बरसाना से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऊंचागांव जो राधारानी की प्रधान सखी ललिता का निज धाम है। गांव में स्थित सखिगिरी पर्वत आज भी ललिता व कृष्ण के दिव्य विवाह का साक्षी है। यहीं नही उक्त पर्वत पर कृष्ण कालीन कई दिव्य चिन्ह भी स्थापित है। आज विहाबलौ होत है सखिगिरी ललिता संग, अन्य सखी भावरि लेत है वाहि के संग। इस पद के अनुसार ललिता सखी व अन्य सखियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने इसी सखिगिरी पर्वत पर सात फेरे लिये थे। आज भी भादों सुदी के द्वादशी को एक बार फिर यह दिव्य लीला ऊंचागांव में स्थित सखिगिरी पर्वत पर जीवंत हो उठती है। राजस्थान बॉर्डर पर स्थित सखिगिरी पर्वत पर कई कृष्ण कालीन चिन्ह मौजूद है। चित्र विचित्र शिला के साथ साथ पर्वत पर छप्पन कटोरा के चिन्ह भी मौजूद है। मान्यता है कि यह सभी चिन्ह द्वापरयुग है।

आज भी सखिगिरी पर्वत पर उक्त लीला पूरे विधि विधान के साथ कि जाती है। जिसमे दाऊजी मन्दिर में श्याम सगाई तथा श्रील नारायण भट्ट की समाधी स्थल पर लगन पत्रिका कार्यक्रम के बाद सखिगिरी पर्वत पर भगवान श्रीकृष्ण ललिता सखी सहित अन्ष्टसाखियाँ के साथ विवाह बंधन में बंधते है। उक्त लीलाओं का उल्लेख रासलीलानुकरण व ब्रज भक्ति विलास रस ग्रन्थ में मिलता है।

ब्रजाचार्य पीठ ऊंचागांव।

ऊंचागांव के सखिगिरी पर्वत पर कई कृष्णकालीन चिन्ह मौजूद है। जहां चित्र विचित्र शिला व छप्पन कटोरा, फिसलनी शिला, मेंहन्दी शिला सहित आदि चिन्ह है। उक्त शिला आज भी कृष्ण के दिव्य लीलाओं का साक्षी है।

हरिओम गोस्वामी स्थानीय निवासी।
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बरसाना के ऊंचागांव में स्थित फिसलनी शिला।

सखियों के साथ फिसले थे कान्हा

सखिगिरी पर्वत पर स्थित फिसलनी शिला वो पत्थर की शिला है। जहाँ कभी कृष्ण अपनी गोपिकाओं के साथ खेलते हुए फिसला करते थे। आज भी उक्त शिला किसी मार्बल के पत्थर की तरह चिकनी है।

शिला में दिखाई देती है महारास की आकृति

सखिगिरी पर्वत पर स्थित चित्र विचित्र शिला में आज भी पूर्णिमा की चाँदनी रात में महारास का चित्रण अंकित होता है। वहीं तेज धूप में उक्त शिला में कई आकृति दिखाई देती है। इसलिए इस शिला को चित्र विचित्र शिला भी कहते है।

सखिगिरी पर्वत पर स्थित है छप्पन कटोरा

खेलते हुए जब भगवान श्रीकृष्ण को भूख लगी थी तो सखियों ने उक्त सखिगिरी पर्वत पर अपने कान्हा को छप्पन तरह के वयंजन खिलाएं। आज भी उक्त प्राचीन शिला पर छप्पन कटोरा के चिन्ह दिखाई देते है।

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