अन्नू रानी ने कभी चंदे से खरीदे थे जूते, गांव की चकरोड़ पर गन्ने का भाला बनाकर करती थींं प्रैक्टिस

in #wortheum2 years ago

IMG_20220808_010018.jpgमेरठ से सटे सरधना क्षेत्र के बहादरपुर गांव निवासी अन्नू रानी ने बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक भारत की झोली में डाल दिया है। अन्नू रानी के ब्रॉन्ज मेडल जीतते ही गांव में खुशी का माहौल है। अन्नू रानी के महिलाओं की जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने पर उत्सव जैसा नजारा है। अन्नू का सबसे बेहतरीन प्रयास 60 मीटर का रहा। वहीं, ऑस्ट्रेलिया की केल्सी ने 64 मीटर की दूरी के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में एथलीट अन्नू रानी से भाला फेंक प्रतियोगिता में देश को गोल्ड की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
गन्ने को भाला बनाकर किया भाला फेंक का अभ्यास
जैवलिन क्वीन के नाम से पहचानी जाने वाली अन्नू के संघर्ष की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। गांव की पगडंडियों पर खेलते और गन्ने को भाला बनाकर प्रैक्टिस करने वाली अन्नू एक दिन देश-विदेश में होने वाली प्रतिस्पर्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी, यह शायद ही किसी ने सोचा होगा, लेकिन अपने संघर्ष और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने ये कर दिखाया। रविवार को वह स्वर्ण जीतने के इरादे से मैदान पर उतरी थी, लेकिन उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया।

बता दें कि चोटिल होने की वजह से नीरज चोपड़ा प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया था। ऐसे में पदक का पूरा दारोमदार मेरठ की बेटी अन्नू रानी पर था। अन्नू रानी का अपने खेत की चकरोड़ से बर्मिंघम तक पहुंचने का सफर बेहद दिलचस्प रहा है।