श्रीनगर से कन्याकुमारी: अगले आम चुनाव से पहले सरपट दौड़ेंगी ट्रेनें
देश के विकास में भारतीय रेल का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। इसी कड़ी में यह लक्ष्य है कि साल 2024 में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले श्रीनगर-कन्याकुमारी के बीच यात्री ट्रेन शुरू हो जाएगी। कश्मीर घाटी और देश को रेल संपर्क मुहैया कराने वाली अति महत्वपूर्ण उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इतना ही नहीं परियोजना के तहत बन रहा विश्व का सबसे ऊंचा चिनाब पुल (1315 मीटर) के डेक का काम 15 अगस्त को पूरा कर लिया जाएगा।
दरअसल, रेलवे बोर्ड के उच्च अधिकारियों ने बताया है कि मार्च 2024 में कश्मीर घाटी का कन्याकुमारी से लेकर पूर्वोत्तर में गुवाहाटी तक रेल संपर्क का काम खत्म हो जाएगा। अप्रैल में यात्री ट्रेनें शुरू हो जाएंगी। अधिकारियों का कहना है कि कुल 272 किलोमीटर लंबी परियोजना में कटरा-बनिहाल खंड (111 किमी) सर्वाधिक जटिल है। शेष पैकेज का काम पूरा हो चुका है। इसी खंड में रेलवे का पहला केबल अंजी खड्ड पुल बनाया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है।
164 किमी लंबी सुरंग का निर्माण लगभग पूरा
कटरा-बनिहाल खंड पर 164 किमी लंबी सुरंग बनाई जा रही है। इसमें 97.57 किमी मुख्य सुरंग और 66.04 किमी एस्केप सुरंग का कार्य प्रगति पर है। वर्तमान में कुल 164 किमी लंबी सुरंग में से 160.52 किमी का काम पूरा हो चुका है। इस खंड के कुल 37 में से 28 पुल तैयार हो चुके हैं। वहीं, बनिहाल-बारामुला खंड पर विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है। बनिहाल-बडगाम विद्युतीकरण कार्य इस साल अक्तूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि परियोजना पर 37,061 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। जून 2022 तक 29,552 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
परियोजना का 85 फीसदी काम पूरा
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना का 85 फीसदी काम पूरा किया जा चुका है। कटरा-बनिहाल खंड का कार्य पूरा होने पर ट्रेन परिचालन शुरू हो जाएगा।
आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, सैन्य आपूर्ति में आसानी होगी
अधिकारी के अनुसार श्रीनगर से देश का रेल संपर्क शुरू होने के बाद कश्मीर घाटी में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। देसी-विदेशी पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और व्यवसायियों को फायदा होगा। रेल लिंक परियोजना सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे आपात स्थिति में सैन्य रसद, गोला-बारूद, हथियार आदि रेल के जरिये आसानी और तेज गति से कश्मीर घाटी और बॉर्डर तक पहुंच सकेंगे।