गांधी परिवार के लिए सीताराम केसरी साबित होंगे खड़गे? दलितों को साधना नहीं होगा आसान

in #wortheum2 years ago

will_kharge_prove_to_be_sitaram_kesari_for_the_gandhi_family_bags_dalit_votes_will_not_be_easy_1666224296.webpकेंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। पार्टी को पूरे 24 साल बाद गैर गांधी और 51 साल बाद दलित अध्यक्ष मिला है। ऐसे में अध्यक्ष के तौर पर खड़गे की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है क्योंकि, उत्तर भारत सहित ज्यादातर प्रदेशों में दलित मतदाता पार्टी से दूर हो गया है। कई चुनावों से दलित दूसरी पार्टियों को वोट कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़गे को बड़े दलित नेता के तौर पर पेश करती रही है। चुनाव में पर्चा दाखिल करने के लिए पार्टी ने कर्नाटक में दलितों के लिए किए गए उनके काम का खूब बखान किया, पर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि खड़गे के लिए दलितों को जोड़ना आसान नहीं है। हर प्रदेश में दलितों की अपनी पार्टी व नेता है।विश्लेषक मानते हैं कि खड़गे पूरे देश के दलित नेता नहीं हैं। दलित नेता के तौर पर पूरे कर्नाटक में भी उनकी अपील नहीं है। दलितों के बीच उनका असर सिर्फ गुलबर्गा और उसके आसपास तक सीमित है। ऐसे में खड़गे को दलितों को कांग्रेस के साथ जोड़ने में कामयाबी मिलने की उम्मीद कम है।

पहले भी दलित कार्ड खेल चुकी है कांग्रेस
पार्टी पहले भी दलित मतदाताओं का फिर से भरोसा जीतने के लिए दलित कार्ड खेल चुकी है। पार्टी ने सुशील कुमार शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया था। फिर 2002 में उपराष्ट्रपति चुनाव में भी उम्मीदवार बनाया था।बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार को यूपीए सरकार में लोकसभा अध्यक्ष बनाया, पर दलितों ने कांग्रेस पर दोबारा भरोसा नहीं जताया।