पांच किलो की बच्ची के पेट से निकला डेढ़ किलो का ट्यूमर, ऑपरेशन की पूरी कहानी जानें।

in Lucknow Mandal News12 days ago

लखनऊ 4 सितम्बर:(डेस्क)केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने एक अभूतपूर्व सर्जिकल कारनामा करते हुए महज तीन महीने की एक बच्ची के पेट से डेढ़ किलो का विशाल ट्यूमर निकाला। ऑपरेशन से पहले बच्ची का कुल वजन महज पांच किलो था, लेकिन सफल ऑपरेशन के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ होकर चार दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद घर लौट गई।

WhatsApp Image 2024-09-04 at 10.06.39_c45f13a1.jpgImage credit : Amar Ujala

बच्ची की पूरी कहानी

चौक के पाटानाला क्षेत्र के महफूज की बच्ची को जन्म से ही पेट में हल्की गांठ थी, जो समय के साथ बढ़ती गई। जब यह गांठ काफी बड़ी हो गई तो परिजनों ने बच्ची को डॉक्टर के पास ले जाना शुरू किया। स्थानीय डॉक्टरों ने बच्ची को केजीएमयू भेज दिया, जहां पीडियाट्रिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो. जेडी रावत और डॉ. आनंद पांडेय ने जांच की तो बच्ची के पेट में बड़े ट्यूमर का पता चला

ऑपरेशन की चुनौतियां

डॉ. आनंद ने बताया कि बच्ची की उम्र बेहद कम थी और ट्यूमर का आकार बहुत ज्यादा था। इस वजह से ऑपरेशन में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत थी। ऑपरेशन के लिए जब पेट खोला तो पाया कि ट्यूमर लगभग पूरे पेट में था। इस कारण बाकी अंग चारों तरफ से दबे हुए थे। बायां गुर्दा तो ट्यूमर के बिलकुल नीचे दबा था

सफल ऑपरेशन और बच्ची की स्थिति

ऐसे में सावधानीपूर्वक ऑपरेशन कर ट्यूमर को निकाला गया। ऑपरेशन के बाद बच्ची को वेंटिलेटर के लिए बाल रोग विभाग में डॉ. शालिनी त्रिपाठी की निगरानी में चार दिनों के लिए रखा गया। इस दौरान बच्ची की स्थिति स्थिर रही और उसने पूरी तरह से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया

केजीएमयू प्रशासन का अभिनंदन

केजीएमयू के कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह सर्जरी न केवल बच्ची के लिए बल्कि पूरे पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि केजीएमयू में उपलब्ध उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधाओं के कारण ही ऐसे जटिल मामलों का सफल इलाज संभव हो पाता है।

पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की उपलब्धियां

केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे जटिल मामलों का सफल इलाज किया है। विभाग में नवजात शिशुओं और बच्चों के लिए 24x7 आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। विभाग में कंगेनिटल शॉर्ट कोलोन, इसोफेगियल एट्रीजिया, ट्रेकियोइसोफेगियल फिस्टुला, एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन, पीडियाट्रिक यूरोलॉजी और न्यूनतम invasive सर्जरी जैसे विशेष क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाता है।

विभाग में वर्ष में लगभग 1100 ऑपरेशन किए जाते हैं, जिनमें से 900 प्रमुख प्रक्रियाएं हैं। विभाग में वर्ष में लगभग 8000 ओपीडी और 1200 इनपेशेंट मरीज आते हैं। विभाग में एमसीएच (एमसीएच) पाठ्यक्रम भी चलाया जाता है, जिसमें प्रति वर्ष दो छात्रों को प्रवेश दिया जाता है।

भविष्य की योजनाएं

विभाग के भविष्य की योजनाओं में एमसीएच सीटों को बढ़ाकर प्रति वर्ष दस करना, पीडियाट्रिक गैस्ट्रो सर्जरी, पीडियाट्रिक यूरो सर्जरी, पीडियाट्रिक मिनिमल एक्सेस सर्जरी, फीटल सर्जरी और पीडियाट्रिक रोबोटिक सर्जरी जैसे उप-विशेषज्ञताओं में पीडीएफ (पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप) पाठ्यक्रम शुरू करना शामिल है।

इस सफल ऑपरेशन ने न केवल बच्ची के जीवन को बचाया बल्कि पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की क्षमताओं को भी प्रदर्शित किया। यह सर्जरी न केवल बच्ची के लिए बल्कि पूरे विभाग के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है और यह केजीएमयू के चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर एक और कदम है।