रास्तों पर चलने लगीं नावें, सरयू में दो घर बह गए।

in Lucknow Mandal News2 days ago

सीतापुर 17 सितम्बर:(डेस्क)सीतापुर जिले के गांजरी इलाके में सरयू और शारदा नदियों ने कहर बरपा रखा है। हालाँकि, सोमवार को नदियों के जलस्तर में मामूली कमी आई, लेकिन यह कमी इतनी नहीं है कि बाढ़ की स्थिति में सुधार हो सके। रामपुर मथुरा के परमगोंडा क्षेत्र में दो घर कटकर सरयू नदी में बह गए हैं। बेकाबू लहरें कृषि योग्य भूमि का कटान भी कर रही हैं, जिससे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।

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बाढ़ प्रभावित गांवों से पानी अभी तक नहीं हटा है, और सैकड़ों बीघा फसलें डूबी हुई हैं। रास्तों पर पानी भरा होने के कारण आवागमन नाव के सहारे ही हो रहा है। लोग अपनी गृहस्थी के सामान के साथ छप्पर और अन्य चीजें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। बाढ़ में फंसे लोगों को दिन में लंच पैकेट मिल जाते हैं, लेकिन रात में उन्हें भूखे रहना पड़ता है।

सोमवार को बैराजों से चार लाख एक हजार 862 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। रामपुर मथुरा से मिली जानकारी के अनुसार, सरयू नदी का जलस्तर 10 सेंटीमीटर कम होकर अब 118.40 मीटर पर बह रहा है। परमगोंडा में नंदकिशोर और रामपाल का घर भी कटकर सरयू में समा गया है। बाढ़ से क्षेत्र के 80 गांव प्रभावित हैं, जिनमें से 30 गांवों के भीतर तक पानी भरा हुआ है, जबकि 50 गांव पानी से घिरे हुए हैं।

बाढ़ की स्थिति को देखते हुए लोग नाव पर अपनी गृहस्थी और छप्पर लेकर सुरक्षित स्थानों पर जाने की कोशिश कर रहे हैं। अंगरौरा क्षेत्र में सड़क से करीब तीन फीट ऊपर पानी बह रहा है। पीताम्बरपुरवा, रामरूपपुरवा, निरंजनपुरवा, मोतीपुरवा, बैजू पुरवा, शुकुल पुरवा, कोठार और परमगोंडा समेत लगभग 30 गांवों का संपर्क अभी भी टूट चुका है। इन गांवों के लोग नाव के माध्यम से आवागमन कर रहे हैं।

जलभराव के कारण हैंडपंप और शौचालय भी डूब गए हैं, जिससे लोगों को शुद्ध पेयजल और शौच जाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रकाश की समस्या भी बनी हुई है, जिससे दूर-दराज गांवों में फंसे लोगों को एक समय का खाना भी नसीब नहीं हो रहा है। पक्के घरों पर लोग तिरपाल का तंबू बनाकर जीवनयापन कर रहे हैं।

स्थानीय निवासी केतकी ने बताया कि एक तिरपाल के नीचे परिवार को सुरक्षित रखना और गृहस्थी को बचाना नामुमकिन हो गया है। क्षेत्र के लोग अब भी भयभीत हैं और उन्हें आशंका है कि यदि नदी का जलस्तर बढ़ा तो स्थिति फिर से विकराल हो सकती है।

सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को तेज करें और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था करें। बाढ़ की इस गंभीर स्थिति में स्थानीय लोगों की मदद करना अत्यंत आवश्यक है ताकि वे इस संकट से उबर सकें।